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किसान के साथ जवान की बात

ByNI Political,
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किसान के साथ जवान की बात
केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में 53 दिन से आंदोलन कर रहे किसान किसी भी दबाव में पीछे नहीं हट रहे हैं। आंदोलन में फूट डालने की सरकार की कोशिश, सुप्रीम कोर्ट के कमेटी बनाने का आदेश, आय कर विभाग के छापे या राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए के नोटिस से भी किसान डर नहीं रहे हैं। उलटे केंद्र सरकार की चिंता बढ़ने लगी है क्योंकि आंदोलन में किसानों के साथ बड़ी संख्या में जवान जुड़ने लगे हैं। ध्यान रहे पंजाब और हरियाणा दो ऐसे राज्य हैं, जिनसे संभवतः सबसे ज्यादा लोग सेना में भरती होते हैं। राजस्थान से भी काफी लोग सेना में जाते हैं और किसान आंदोलन में इन तीन राज्यों का सबसे ज्यादा जुड़ाव दिख रहा है। खबर है कि किसानों के साथ जवानों के जुड़ने की खबर से सरकार चिंता में है। सरकार को खुफिया एजेंसियों के जरिए यह सूचना मिली है कि रिटायर सैन्य अधिकारी और जवान किसानों के साथ जुड़ रहे हैं। पहले इक्का-दुक्का जवानों के किसान आंदोलन का समर्थन करने की खबर आई थी। पर अब खबर है कि पूर्व सैनिकों के संगठन के जरिए सांस्थायिक रूप से रिटायर सैन्यकर्मी इस आंदोलन से जुड़ रहे हैं। तभी सरकार इसे रोकने के प्रयास में जुट गई है। ध्यान रहे पिछली बार 15 जनवरी को हुई वार्ता के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने जय किसान के साथ जय जवान का नारा भी लगाया था। माना जा रहा है कि उनका यह नारा लगाना अनायास नहीं है। अगर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रिटायर सैन्यकर्मी इस आंदोलन से जुड़ते हैं तो यह पूरा आंदोलन दूसरा आयाम ले लेगा।
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