केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों से बात कर रही सरकार को लगता है कि अपने प्रबंधन और सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था पर पूरा भरोसा नहीं है। तभी बातचीत और कानूनी दांवपेंच में किसानों को उलझाने के साथ साथ सरकार उनको डराने का प्रयास भी तेजी से करने लगी है। पहले भी किसानों को डराया जा रहा था लेकिन अब डराने का प्रयास तेज हो गया है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब सब जगह अब केंद्रीय एजेंसियों का डंडा चलने लगा है।
हरियाणा के बड़े किसान नेता और लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा को राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआईए ने नोटिस भेजा है। उनको 17 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। एनआईए का आरोप है कि प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के एक नेता के साथ सिरसा के संबंध हैं। ध्यान रहे सिरसा का संगठन उन 40 किसान संगठनों में शामिल है, जिनके साथ सरकार पिछले डेढ़ महीने से बात कर रही है।
हरियाणा में किसानों के यहां छापे मारे जा रहे हैं और उनके खिलाफ धारा 307 यानी हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। सोचें, मुख्यमंत्री का घेराव करने या उनके काले झंडे दिखाने वालों के खिलाफ धारा 307 में मुकदमा दर्ज किया जाना किस बात का संकेत है! अब तक आंदोलनकारियों के खिलाफ सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या सरकारी काम में बाधा डालने या अव्यवस्था फैलाने का मुकदमा होता था, अब हत्या के प्रयास का मुकदमा होने लगा है। ऐसे ही उत्तर प्रदेश में किसान नेताओं के घर-घर जाकर पुलिस उनको नोटिस दे रही है। इस बात की जांच कर रही है कि वे कहीं आंदोलन में तो शामिल नहीं हैं। कुछ दिन पहले तो किसान नेताओं से बांड भरवाया जा रहा था कि वे आंदोलन में शामिल नहीं होंगे।