तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को सरकार की मंशा पर संदेह हो रहा है। अब तक हुई बातचीत में सरकार की ओर से कोई ठोस प्रस्ताव नहीं मिला है और ऊपर से हर दौर की वार्ता के बीच सरकार कुछ ऐसा कर रही है, जिससे किसानों के आंदोलन में फूट पड़े। पहले दौर में ही सरकार ने अलग अलग राज्यों के किसानों को अलग अलग बुलाने का फैसला किया। इससे किसानों का साझा टूटने का खतरा हो गया। फिर स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव को वार्ता से अलग किया गया। यह भी आंदोलन में फूट डालने का प्रयास था। और अब सरकार कानून समर्थक किसान संगठनों से मिल रही है।
हरियाणा के 20-25 किसान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिले। सरकार की ओर से इस मुलाकात को खूब प्रचारित कराया गया। ये किसान बिल्कुल वहीं बात कर रहे हैं, जो सरकार कह रही है। इनको केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म नहीं कराना है, बल्कि उनमें संशोधन कराना है। ये चाहते हैं कि सरकार कुछ चीजें बदल दे। ये चीजें वहीं हैं, जो सरकार बदलना चाहती है और जिसका प्रस्ताव प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को दिया गया है। आंदोलन कर रहे किसानों से अलग सरकार समर्थक किसान संगठनों को बुला कर उनसे मुलाकात करने का दो मकसद दिख रहा है। एक तो किसान आंदोलन में फूट डालना और दूसरा आम लोगों में किसानों के लिए बढ़ रहे समर्थन को कम करना।
किसान आंदोलन में ऐसे पड़ेगी फूट!
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