
क्या दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की वजह से सीमा पर तैनात देश के जवानों पर असर है? अभी इस बात को पक्के सबूत नहीं मिले हैं पर इसके अंदेशे से सरकार परेशान है। बताया जा रहा है कि इंटेलीजेंस एजेंसियां इस बात का पता लगा रही हैं। असल में पिछले दिनों पंजाब के बठिंडा में किसानों के एक रैली में एक जवान दिखा है, जो वीडियो में कह रहा है कि उसके पिता भी एक किसान हैं और अगर वे आतंकवादी हैं तो इसका मतलब है कि वह भी आतंकवादी है। गौरतलब है कि भाजपा के नेता प्रदर्शनकारी किसानों को खालिस्तानी आतंकवादी बता रहे हैं और यहां तक कि आंदोलन के पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ होने की बात भी कर रहे हैं।
बठिंडा में जो जवान दिखा है उसने सेना की कॉम्बैट ड्रेस यानी लड़ने वाले अग्रिम दस्ते में इस्तेमाल होने वाली वर्दी पहन रखी है, जिस पर उसके नाम की पट्टी भी लगी है और उसने जिस मास्क से मुंह ढका है वह भी वर्दी से मिलते-जुलती रंग की है, जो आमतौर पर जंगल में अभियान के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। यह एक कैमाफ्लॉज है, जिससे किसी दूसरी चीज का भ्रम दिया जाता है। बहरहाल, इसके अलावा भी एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक-47 से लैस दो जवान किसान आंदोलन की बात कर रहे हैं और उसे अपना समर्थन दे रहे हैं। ध्यान रहे सीमा पर तैनात ज्यादातर जवान देश के किसी न किसी हिस्से में रहने वाले किसानों के ही बेटे होते हैं। सो, अगर किसान आंदोलन के बारे की जा रही टिप्पणियों से उनमें गुस्सा हो तो यह अस्वाभाविक नहीं है। लेकिन इन दो वीडियो की सचाई जब तक पता नहीं चलती है, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता है।