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कृषि कानूनों पर लड़ाई लंबी होगी

ByNI Political,
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कृषि कानूनों पर लड़ाई लंबी होगी
संसद से पास विवादित कृषि विधेयकों को अदालत में चुनौती मिलेगी। विपक्षी पार्टियां इसकी तैयारी कर रही हैं कि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने और अधिसूचना जारी होने के बाद इनको अदालत में चुनौती दी जाएगी। हालांकि अदालत में क्या होगा यह नहीं कहा जा सकता है पर विपक्ष इसको आसानी से कानून नहीं बनने देगा। विपक्षी पार्टियों की योजना इस पर अदालत से रोक लगवाने की है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां दो कृषि विधेयकों के राज्यसभा से पास होने के तरीके को भी चुनौती देगी। वैसे संसद की कार्यवाही को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है और इस मामले में संसद का अधिकार अंतिम होता है। परंतु रविवार को जैसे ही राज्यसभा से दोनों कृषि विधेयक पास हुए वैसे ही सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने ट्विट करके विपक्षी पार्टियों को सलाह दी कि वे संसद के उच्च सदन की कार्यवाही को अदालत में चुनौती दें। अगर ऐसा होता है तो इससे एक नई संसदीय बहस शुरू होगी। आमतौर पर संसद के अंदर की किसी भी गतिविधि को अदालत में चुनौती नहीं दी जाती है। पर हो सकता है कि विवाद बढ़ाने के लिए विपक्षी पार्टियां इसे भी सुप्रीम कोर्ट में लेकर जाएं। यह भी कहा जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों के अलावा किसान संगठन भी इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। इसके अलावा जमीनी आंदोलन चलता रहेगा। कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि यह बहुत भावनात्मक मुद्दा है और इस पर देश भर के किसानों को आंदोलित किया जा सकता है। जैसे भूमि अधिग्रहण बिल पर कांग्रेस ने सरकार को झुकने के लिए मजबूर किया था उसी तरह इस बिल पर भी तैयारी हो रही है। राहुल गांधी के अमेरिका से लौटने के बाद कांग्रेस के आंदोलन की रूप-रेखा बनेगी। कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह है कि दिल्ली से सटे जिन तीन राज्यों- पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में यह आंदोलन हो रहा है वहां कांग्रेस मजबूत है। दो राज्यों में उसकी सरकार है और हरियाणा में वह एक मजबूत विपक्षी पार्टी है। इसलिए कांग्रेस को लग रहा है कि वह आंदोलन को धार दे सकती है।
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