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अकाली और बसपा को खत्म मत मानें

ByNI Political,
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अकाली और बसपा को खत्म मत मानें
पंजाब में विधानसभा का चुनाव संपन्न हो गया है और उत्तर प्रदेश में भी तीन चरण में 172 सीटों पर वोट पड़ चुका है। इन दोनों राज्यों में कई पार्टियां चुनाव लड़ी हैं, जिनकी खूब चर्चा हुई है और हो रही है। लेकिन दो पार्टियां ऐसी हैं, जिनको चुनाव के पहले ही मान लिया गया कि ये दोनों चुनाव नहीं लड़ रहे हैं या लड़ रहे हैं तो बड़ी ताकत नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज  पार्टी को चुनाव शुरू होने से पहले ही खारिज कर दिया गया और पंजाब में अकाली दल के लिए पहले ही मान लिया गया कि वह मुकाबले में नहीं है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी बनाम समाजवादी पार्टी का मुकाबला हो गया और पंजाब में कांग्रेस बनाम आम आदमी पार्टी की लड़ाई बन गई। Five state asseimbly election दोनों राज्यों में दो-दो पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला बताने के साथ ही उत्तर प्रदेश में बसपा और पंजाब में अकाली दल को खत्म मान लिया गया। लेकिन ऐसा नहीं है। पंजाब में अकाली और बसपा साथ मिल कर चुनाव लड़े हैं और बहुत बढ़िया चुनाव लड़ा है। जीत-हार अपनी जगह है लेकिन अकाली दल ने बहुत कायदे से चुनाव लड़ा। उम्मीदवारों का चयन अच्छे तरीके से किया और अपने कोर वोट पर फोकस करके चुनाव लड़ा। ध्यान रहे जाट-सिख मतदाताओं का पारंपरिक रूझान अकाली दल की ओर होता है। उसी को ध्यान में रख कर अकाली दल ने चुनाव लड़ा। बहुकोणीय मुकाबले की वजह से ज्यादातर जगह जीत-हार का अंतर कम होगा और उसमें अकाली-बसपा गठबंधन के लिए मौका है। Read also चन्नी क्या केजरीवाल को हरा देंगे? इसी तरह उत्तर प्रदेश में हर चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में बताया जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी का वोट प्रतिशत बड़ी मुश्किल से दहाई में पहुंचेगा। अधिकतम 12-13 फीसदी वोट मिलने की बात कही जा रही है। ध्यान रहे पिछले चुनाव में भाजपा की लहर के बीच राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के मुकाबले बसपा को ज्यादा वोट मिला था। सपा को 21.82 फीसदी वोट था तो बसपा को 22 फीसदी से ज्यादा वोट था। इस वोट का बड़ा हिस्सा अब भी मायावती के साथ है और पिछले कई चुनावों से उनका साथ देने वाला अति पिछड़ी जातियों का भी एक हिस्सा उनके साथ है। इसलिए उन्हें भी खत्म नहीं मानना चाहिए। अगर उनका प्रदर्शन चुनावी सर्वेक्षणों के अनुमान से बेहतर होता है तो वह भाजपा के लिए खतरे की घंटी होगी।
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