
पांच राज्यों के चुनाव नतीजे भाजपा के लिए बहुत अहम हैं। लेकिन यह समझने की बात है कि असम छोड़ कर भाजपा के पास इन राज्यों में गंवाने के लिए कुछ नहीं है। मीडिया में यह विमर्श जरूर बना है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा हारेगी और तृणमूल कांग्रेस जीतेगी। लेकिन यह अधूरी बात है। पश्चिम बंगाल में भाजपा को हारने के लिए कुछ नहीं है और जीतने के लिए सत्ता है। उसको पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ तीन सीटें मिली थीं। अगर वह एक सौ सीट जीतती है तो यह उसकी बहुत बड़ी जीत होगी। इसे हारना नहीं कह सकते हैं। हां, यह कह सकते हैं कि भाजपा बंगाल नहीं जीत सकी। लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि वह हारेगी नहीं, उसे जो भी मिलेगा वह उसकी जीत होगी।
इसी तरह पिछले चुनाव में केरल में भाजपा को सिर्फ एक सीट मिली थी और तमिलनाडु में उसका खाता भी नहीं खुला था। पुड्डुचेरी में भी उसके पास तीन विधायक थे, जिनको केंद्र सरकार ने मनोनीत किया था। यानी वहां भी पार्टी कोई भी सीट नहीं जीत सकी थी। अगर इस बार एनआर कांग्रेस और अन्ना डीएमके के साथ मिल कर भाजपा पुड्डुचेरी में सरकार में आती है तो यह उसकी बड़ी जीत होगी। तमिलनाडु में खाता खुलना और केरल में एक सीट से बढ़ कर दो सीट पर पहुंच जाना भी भाजपा की जीत होगी। उसके पास खोने के लिए सिर्फ असम में था और एक्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक वहां वह अपनी सत्ता बचा रही है। सो, पांच चुनावों के नतीजे भाजपा के लिए अच्छे होंगे और उनसे पार्टी का नेतृत्व मजबूत होगा। हां, अगर असम में पार्टी हारती है तो वह बड़ा झटका होगा।