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चार राज्य, चार गिरफ्तारी और एक कहानी!

ByNI Political,
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चार राज्य, चार गिरफ्तारी और एक कहानी!
देश के चार राज्यों में हुई चार गिरफ्तारियों में एक पैटर्न दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि किसी डिजाइन के तहत साहबों के सिपहसालारों की गिरफ्तारियां हो रही हैं। चार राज्यों में महाबली क्षत्रपों के सबसे करीबी, नंबर दो या दाहिनी हाथ माने जाने वाले नेताओं या सहयोगियों की गिरफ्तारी हुई है। केंद्रीय एजेंसियों ने चार राज्यों- महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के सबसे मजबूत क्षत्रपों के सबसे करीबी सहयोगों के खिलाफ कार्रवाई है। क्या यह माना जाए कि इन कार्रवाइयों और गिरफ्तारियों का मकसद क्षत्रपों को मन में डर बैठाना है? केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने महाराष्ट्र में शिव सेना के नंबर दो और उद्धव ठाकरे के सबसे करीबी सहयोगी संजय राउत को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने ही पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी और सरकार के नंबर दो नेता पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया है। उससे पहले ईडी ने झारखंड में मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि और संथालपरगना का सीएम कहे जाने वाले पंकज मिश्रा को गिरफ्तार किया। उधर बिहार में सीबीआई ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के सबसे करीबी सहयोगी और पूर्व विधायक भोला यादव को गिरफ्तार किया। Read also यह भी पढ़ें: ये न्याय है या मज़ाक ? इन चारों गिरफ्तारियों में सिर्फ यहीं समानता नहीं है कि ये चारों अपनी पार्टी के सुप्रीमो के सबसे करीबी या दाहिनी हाथ माने जाते थे, एक समानता यह भी है कि कम से कम तीन राज्यों में जिन मामलों में गिरफ्तारी हुई है, उसके तार सीधे पार्टी सुप्रीमो से जुड़ते हैं। महाराष्ट्र में संजय राउत को पात्रा चॉल घोटाले में गिरफ्तार किया गया है, जिसके तार सीधे तौर पर उद्धव ठाकरे से नहीं जुड़ते हैं। आगे कोई और मामला निकले तो नहीं कहा जा सकता है। लेकिन बाकी तीन राज्यों में जांच की आंच सीधे पार्टी सुप्रीमो तक पहुंच रही है। बिहार में भोला यादव को रेलवे में नौकरी देने के बदले जमीन लेने के आरोप में हुई है। सीबीआई ने यह जो मामला दर्ज किया है उसमें लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के अलावा उनकी दो बेटियां भी आरोपी हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती में रिश्वत लिए जाने के मामले में पार्थ चटर्जी गिरफ्तार हुए हैं। लेकिन सबको पता है कि बिना पार्टी की मंजूरी के नियुक्तियां नहीं होती हैं। पार्थ ने भी कहा है कि वे पार्टी और विधायकों के कहने पर नियुक्ति करते थे। सो, जांच आगे बढ़ेगी तो ममता बनर्जी भी दायरे में आएंगी। झारखंड में तो पंकज मिश्रा मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि थे और मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में उनका सारा काम संभालते थे। वे पत्थर की माइनिंग के काम से जुड़े थे और मुख्यमंत्री के ऊपर भी माइनिंग से जुड़ा केस ही चल रहा है। इसके अलावा फर्जी कंपनियों का मामला अलग है, जिसमें अदालत अगर सीबीआई जांच की इजाजत देती हैं तो कई नए मामले बनेंगे। सो, ऐसा लग रहा है कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में हुई चार गिरफ्तारियों से क्षत्रपों को डराया गया है। इस डर का आगे क्या राजनीतिक इस्तेमाल होगा यह देखने वाली बात होगी।
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