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वित्त मंत्री को कहां से आइडिया मिला?

ByNI Political,
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वित्त मंत्री को कहां से आइडिया मिला?
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन में एक प्रेस कांफ्रेंस में रुपए और डॉलर की कीमत को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जो कहा, उसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। भारत में तो उस बयान का जितना मजाक बना है, उतना हाल के दिन में किसी और बयान का सुनने को नहीं मिला। देश की वित्त मंत्री को भी इससे पहले कभी ऐसे ट्रोल होते नहीं देखा गया होगा। उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। सुब्रह्मण्यम स्वामी से लेकर सोशल मीडिया के आम यूजर तक ने इस बयान को लेकर बनाए गए मीम्स और मजाक शेयर किए। स्वामी ने तो उनसे इस बयान को लेकर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी पर भी तंज किया, जहां से वे पढ़ी हैं। लेकिन सवाल है कि देश की वित्त मंत्री को इस तरह के बयान का आइडिया कहां से आया? वे सिर्फ इतना भी कह सकती थीं कि डॉलर के मुकाबले भले रुपया कमजोर हुआ है लेकिन दुनिया की दूसरी मुद्राओं के मुकाबले रुपए का प्रदर्शन अच्छा है। यह बात भी उन्होंने कही लेकिन साथ  मजाक बनने वाली बात यह कह दी कि रुपया कमजोर नहीं हुआ है, बल्कि डॉलर मजबूत हुआ है। ऐसा लग रहा है कि यह कहने का आइडिया उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला क्योंकि कम से कम दो मौकों पर वे इस किस्म के बयान दे चुके हैं, जिनकी सोशल मीडिया में भी खूब चर्चा हुई है। कोई दस साल पहले जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने इस तरह का एक बयान दिया था। गुजरात में लड़कियों के कुपोषण का मामला सामने आया था, तब मोदी ने कहा था कि गुजरात की महिलाएं सुंदरता का ध्यान रखती हैं। उन्होंने कहा था कि गुजरात की लड़कियां मोटे होने के डर से दूध नहीं पीती हैं। उनमें स्वास्थ्य से ज्यादा सुंदरता की चाह है। यह संयोग है कि जिस दिन वित्त मंत्री ने रुपए और डॉलर वाला बयान दिया उसी दिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स भी आया, जिसमें भारत की 107वीं रैंकिंग आई है। इस पर तंज करते हुए कई लोगों ने लिखा और कहा कि भारत में भूख और कुपोषण नहीं बढ़ा है, बल्कि व्रत और उपवास करने वालों की संख्या बढ़ गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में अपने एक संबोधन में नौकरियों को लेकर भी इसी तरह की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि नौकरियों की कमी नहीं है, बल्कि आंकड़ों की कमी है। यानी बेरोजगारी के आंकड़े गलत हैं। इससे पहले 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने एक कार्यक्रम में मिसाल देते हुए कहा था कि ठंड नहीं बढ़ी है, बल्कि हमारी ठंड सहने की क्षमता कम हो गई है। उसी तरह क्लाइमेट नहीं बदल रहा है, हम बदल रहे हैं। वित्त मंत्री का ताजा बयान इसी लाइन पर दिया गया लग रहा है।
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