कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 के साथ शांति बहाली कर ली है। बताया जा रहा है कि उनमें से कुछ नेताओं को राज्यसभा भेजने का फैसला भी हो चुका है। लेकिन पार्टी ने आगे की राजनीति को लेकर बड़ी पहल की तो उससे इन नेताओं को दूर रखा। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को आगे के चुनावों के बारे में प्रेजेंटेशन देने और कांग्रेस की रणनीति पार काम करने के लिए आमंत्रित किया तो उसमें जी-23 के नेताओं को नहीं बुलाया गया। शनिवार, सोमवार और मंगलवार को प्रशांत किशोर के साथ कांग्रेस नेताओं की तीन बैठकें हुई हैं, लेकिन अससंतुष्टों को इससे दूर रखा गया।
हालांकि जी-23 में शामिल रहे और सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी पर दस्तखत करने वालों में एक मुकुल वासनिक को मीटिंग में बुलाया गया। लेकिन उनको पूरी तरह से असंतुष्ट खेमे का नहीं माना जाता है। उनके ऊपर पार्टी आलाकमान का भरोसा है। हैरानी की बात है कि वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को नहीं बुलाया गया। वे चार दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस की हर रणनीति का हिस्सा रहे हैं। इसी तरह साल के अंत में हिमाचल प्रदेश में चुनाव होना है और प्रशांत किशोर ने उसके बारे में भी प्रेजेंटेशन दिया लेकिन आनंद शर्मा को नहीं बुलाया गया। कपिल सिब्बल या मनीष तिवारी वैसे भी रणनीतिक बैठकों में नहीं बुलाए जाते हैं। राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह आदि बुलाए गए लेकिन भूपेंदर सिंह हुड्डा को नहीं बुलाया गया। बताया जा रहा है कि इस अनदेखी से असंतुष्ट नेताओं में एक बार फिर नाराजगी बढ़ी है। लेकिन वे राज्यसभा चुनाव तक इंतजार करेंगे।