एक तरफ जहां भारत में सरकार राहत पैकेज के नाम पर लोगों को कर्ज लेने की नई नई स्कीम समझा रही है वहीं दुनिया के अनेक देश अपने नागरिकों के हाथ में सीधे नकदी दे रहे हैं ताकि बाजार में मांग लौट सके। कई देशों ने अपने नागरिकों को कैश कूपन बांटे हैं ताकि वे बाहर जाकर खरीदारी कर सकें। अमेरिका ने सबसे पहले अपने नागरिकों को 12 सौ डॉलर देने का ऐलान किया था। अमेरिका में घोषित राहत पैकेज के तहत अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भी नकद दिया गया ताकि बाजार का चक्का चलता रहे। कई देश अपने नागरिकों को फूड कूपन बांट रहे हैं ताकि वे बाहर जाएं और रेस्तरां का कारोबार चले।
एशिया में ही दक्षिण कोरिया ने स्वरोजगार करने वालों को बड़ी नकद मदद की है। वहां की सरकार ने स्वरोजगार करने वालों को मजदूरों के बिल का 70 फीसदी खुद भुगतान किया। जर्मनी में अपना काम करने वाले लोगों को सरकार ने पांच-पांच हजार डॉलर की मदद दी। इटली ने सीजनल वर्कर्स को और अपना काम करने वालों को प्रति व्यक्ति 650 डॉलर की मदद दी। ऑस्ट्रेलिया में कम आमदनी वाले 60 लाख लोगों को साढ़े सात सौ डॉलर प्रति व्यक्ति की मदद दी गई है। \यरलैंड में जिनकी नौकरी गई है या जिनका अपना काम है वहां सरकार ने उनकी जरूरत के हिसाब से साप्ताहिक भुगतान किया है। उन्हें औसतन 220 डॉलर हर हफ्ते मिले हैं। जापान ने अपने सभी 12 करोड़ नागरिकों को प्रति नागरिक 930 डॉलर की मदद की। फ्रांस ने स्वरोजगार करने वाले करीब छह लाख लोगों को 16 सौ डॉलर प्रति व्यक्ति की मदद की। पर भारत में लोगों को कर्ज लेने के नए उपाय सुझाए जा रहे हैं।
दुनिया नकद पैसे दे रही है
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