कोरोना वायरस की महामारी के दो साल में आम लोगों की कमाई घटी है। नौकरियां गई हैं, रोजगार ठप्प हुए हैं, बीमारी पर इलाज में लोगों के पैसे खर्च हुए हैं और महामारी से जुड़े दूसरे असर से भी करोड़ों लोग आर्थिक संकट में आए हैं। लेकिन इस संकट के बीच भी भारत सरकार की कमाई जारी रही। सरकार ने लोगों को राहत देने की बजाय उनकी जेब में बचे खुचे पैसे भी निकालने का पूरा बंदोबस्त किया। सरकार ने खुद बताया है कि भारतीय रेलवे ने अलग अलग उपायों से कितने पैसे कमाए हैं, बैंकों ने लोगों पर शुल्क बढ़ा कर कितनी कमाई की है और पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस आदि के दाम बढ़ा कर सरकार ने कितनी कमाई की है।
सूचना के अधिकार कानून के तहत दिए गए आवेदन के जवाब में भारतीय रेलवे ने बताया है कि उसने 2020-21 में तत्काल टिकट से 403 करोड़, प्रीमियम तत्काल से 119 करोड़ और डायनेमिक किराए से 511 करोड़ रुपए की कमाई की है। ध्यान रहे इस दौरान ज्यादातर ट्रेन सेवाएं बंद रहीं। उस बीच विशेष ट्रेन चला कर उनसे यात्रा करने वाले से अनाप-शनाप किराया वसूला गया था उसकी कमाई अलग है। बहरहाल, चालू वित्त यानी 2021-22 के पहले छह महीने में रेलवे ने डायनेमिक किराए से 243 करोड़, तत्काल से 353 और प्रीमियम तत्काल से 89 करोड़ रुपए कमाए हैं।
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पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर शुल्क से तीन लाख 71 हजार करोड़ रुपए की कमाई की। यह रिकार्ड कमाई है। इसी तरह भारत सरकार के बैंकों ने कोरोना की महामारी के बीच बचत खातों में न्यूनतम जमा नहीं रखने वालों से बैंकों ने हजारों करोड़ रुपए कमाए हैं। बैंकों ने एक बड़ी रकम जन धन खातों से काटी है, जिसे लौटाने को कहा गया है। अब सरकार ने अपनी कमाई बढ़ाने के लिए बैंकों से पैसा निकालने, एटीएम से पैसे का लेन-देन करने पर शुल्क बढ़ा दिया है। साथ ही ऑनलाइन खाने के ऑर्डर और ऐप आधारित टैक्सी सेवा पर भी पांच फीसदी जीएसटी लगा दिया है। जूतों पर जीएसटी पांच से बढ़ा कर सात फीसदी कर दिया गया है।
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