पेगासस का विवाद अब नेपथ्य में चला गया है। इस बीच खबर आई है कि भारत सरकार एक दूसरा जासूसी सॉफ्टवेयर खरीदने की तैयारी कर रही है। अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ के हवाले से खबर दी है कि सरकार पेगासस से कम विवादित जासूसी सॉफ्टवेयर खरीदने पर विचार कर रही है और इसके लिए कई कंपनियों से बात चल रही है। गौरतलसब है कि पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर इजराइल की एनएसओ ने तैयार किया था। इसे इस्तेमाल को लेकर दुनिया के कई देशों में बड़ा विवाद हुआ। भारत में भी इस सॉफ्टवेयर के जरिए कई नेताओं, जजों, पत्रकारों आदि की जासूसी करने का आरोप लगा। हालांकि कोई आरोप प्रमाणित नहीं हुआ और रक्षा मंत्रालय में संसद में कहा कि उसने इजराइल की एनएसओ ने यह सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा है।
बहरहाल, अब पेगासस से मुकाबले वाले दूसरे सॉफ्टवेयर की खरीद की बात हो रही है। बताया जा रहा है कि इसके लिए भारत सरकार ने करीब एक हजार करोड़ रुपए का बजट तय किया है। ध्यान रहे सेना से लेकर खुफिया एजेंसियों तक को ऐसे सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे देशों ने अपना सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसे वे बेचते नहीं हैं। लेकिन कई निजी कंपनियां इसका कारोबार करती हैं। उन्हीं में से एक कंपनी है ग्रीस की इंटेलेक्सा है, जिसने प्रीडेटर नाम से सॉफ्टवेयर बनाया है। इसे इजराइल के इंजीनियरों की मदद से तैयार किया था। मिस्र, सऊदी अरब, ओमान आदि देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है। इसी तरह क्वाड्रीम और कॉग्नाइट नाम के भी सॉफ्टवेयर हैं। क्वाड्रीम का भी इस्तेमाल सऊदी अरब में हो रहा है। यह तय नहीं है कि भारत सरकार इनमें कोई सॉफ्टवेयर खरीदेगी या कहीं और बातचीत हो रही है।