पहले सरकारें चुनाव की चिंता करती थीं। चुनाव नजदीक आते थे तो वस्तुओं के दाम बढ़ना कम हो जाते थे। केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर लगाम देती थी। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि निजी कंपनियां भी चुनाव की चिंता करने लगी हैं। यह अमुक जी को होने से सब कुछ मुमकिन होने का एक सबूत है। गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने अपने उत्पाद अमूल दूध की कीमतों में इजाफा किया है। लेकिन उसने गुजरात को इस बढ़ोतरी से बाहर रखा है।
इससे पहले अमूल दूध की कीमतें एक साथ पूरे देश में बढ़ती थीं। उसका विज्ञापन भी टेलीविजन पर आता है कि ‘अमूल दूध पीता है इंडिया’। सोचें, जो दूध पूरा इंडिया पीता है उसने अपनी कीमतों में बढ़ोतरी की तो गुजरात को छोड़ दिया। फुल क्रीम दूध और गाय के दूध की कीमतों में दो रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। उसके तुरंत बाद मदर डेयरी ने भी अपने दूध की कीमतों में दो रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी। मदर डेयरी का दूध चूंकि उत्तर भारत में ही ज्यादा बिकता है इसलिए उसको गुजरात की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ी। ध्यान रहे गुजरात में अगल महीने के अंत तक या दिसंबर में चुनाव होने वाले हैं। संभवतः इसलिए अमूल दूध बनाने वालों ने गुजरात में कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया। बाकी देश में साल में तीसरी बार दूध के दाम ब…ढ़े हैं।