गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के प्रचार अभियान का समापन योगी आदित्यनाथ ने किया। वे भाजपा के शो स्टॉपर बने। दूसरे चरण में पांच दिसंबर को होने वाले मतदान के लिए तीन दिसंबर को प्रचार बंद हुआ और उस दिन योगी आदित्यनाथ ने तीन बड़ी चुनावी सभाएं कीं। प्रचार के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई सभा नहीं हुई। उससे पहले पहले लगातार दो दिन तक उन्होंने प्रचार किया था। एक और दो दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी सात सभाएं हुई थीं और दोनों दिन उन्होंने रोड शो किया था। एक दिसंबर का उनका रोड शो ऐतिहासिक था। कोई साढ़े तीन घंटे में उनका काफिला 50 किलोमीटर से ज्यादा चला था और 16 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरा।
प्रधानमंत्री का दो दिन का सघन प्रचार अभियान पूरा होने के बाद योगी आदित्यनाथ को आखिरी दिन प्रचार में उतारा गया। उन्होंने तीन दिसंबर को धोलका में पहली रैली की और कांग्रेस को समाप्त करने, उसका विसर्जन करने की बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को समाप्त करने का जो सपना महात्मा गांधी ने देखा था उसे पूरा करने का समय आ गया है। इसके बाद उन्होंने खेड़ा और खंभात में दो और सभाएं कीं। जिस तरह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि गुजरात में पहले बहुत दंगे होते थे लेकिन 2002 में सबक सिखाने के बाद दंगे बंद हो गई उसी तर्ज पर योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पहले बहुत दंगे होते थे लेकिन अब कोई दंगा नहीं होता है।
प्रचार के आखिरी दिन तीन सभाएं करने से पहले भी योगी ने पूरे राज्य में प्रचार किया था और उनकी सभाओं में उत्तर प्रदेश के बुलडोजर मॉडल को दिखाने के लिए पार्टी के नेता बुलडोजर पर चढ़ कर पहुंचते थे। बताया जा रहा है कि दिल्ली के एक पत्रकार ने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से पूछा था कि प्रधानमंत्री मोदी के बाद किस नेता की सबसे ज्यादा डिमांड है तो पटेल ने कहा कि योगी आदित्यनाथ की। लेकिन उनके साथ मौजूद प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने तत्काल इसमें सुधार किया और कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमित शाह की सबसे ज्यादा मांग है और वे असली स्टार प्रचारक हैं।
ध्यान रहे गुजरात के इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा मेहनत अमित शाह ने की है। पार्टी की टिकटें तय करने के लिए वे कई दिन तक राज्य में बैठे रहे और टिकट तय होने के बाद पार्टी में हुई छोटी मोटी नाराजगी को भी उन्होंने ही दूर कराया। तभी हिमाचल के मुकाबले गुजरात में कम बगावत हुई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी चुनाव से कमोबेश दूर ही रहे। सब कुछ शाह ने संभाला। तभी कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ को शो स्टॉपर बनाने भी उनकी रणनीति का हिस्सा है क्योंकि उनको भी पता है कि राज्य में 27 साल की एंटी इन्कंबैंसी है और उसे दूर करने के लिए लोगों को कुछ नया दिखाने की जरूरत है। इसके लिए योगी को ज्यादा तरजीह दी गई।