यह बहुत गंभीर आरोप है कि राहुल गांधी विदेश जाते हैं तो अवांछित कारोबारियों से मिलते हैं। कांग्रेस छोड़ने वाले गुलाम नबी आजाद ने यह आरोप लगाया है, जिस पर भाजपा ने राहुल को निशाना बनाया है और उनसे पूछा है कि वे बताएं कि जब वे विदेश जाते हैं तो किन कारोबारियों से मिलते हैं। आजाद ने दसों उदाहरण देने की बात कही है। हालांकि उन्होंने नाम किसी का नहीं लिया है। लेकिन अगर भाजपा ने राहुल पर हमला करने के लिए उनकी बात का संज्ञान लिया है तो क्या सरकार और केंद्रीय एजेंसियों को इसका संज्ञान नहीं लेना चाहिए? केंद्रीय एजेंसियों को संज्ञान लेकर आजाद से पूछताछ करनी चाहिए कि राहुल विदेश जाते हैं तो किन कारोबारियों से मिलते हैं और उसका क्या मकसत होता है।
आजाद ने नेहरू गांधी परिवार के लोगों के कारोबारियों से मिलने के बात कही है लेकिन इसमें कोई दिक्कत नहीं है। असली दिक्कत वाली बात अवांछित कारोबारियों से मिलने की है, जिसके बाद भाजपा ने कहा कि विदेश से लौट कर राहुल केंद्र सरकार पर ज्यादा हमलावर हो जाते हैं। इसका मतलब है कि विदेश में वे ऐसे अवांछित कारोबारी से मिलते हैं, जिसका एजेंडा भारत सरकार के विरोध का होता है। वह कारोबारी भारत का कोई नागरिक है या विदेशी नागरिक है? सरकार का विरोध कराने का उसका क्या एजेंडा है? इन सवालों के जवाब हासिल करने की जरूरत है। इसमें संदेह नहीं है कि अगर आजाद के पास ऐसी कोई जानकारी है तो वह भाजपा को और सरकार को मिल चुकी होगी। अब सवाल है कि उस जानकारी पर सरकार कब कार्रवाई करेगी? वह देशहित में तत्काल कार्रवाई करेगी या चुनाव का इंतजार करेगी?