अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल का केंद्र सरकार से इस्तीफा राजनीतिक रूप से बहुत ज्यादा असर डालने वाला हो सकता है। ध्यान रहे भाजपा की दो सबसे पुरानी सहयोगी पार्टियों में से एक अकाली दल है। शिव सेना पहले ही भाजपा से अलग हो गई है और कांग्रेस के साथ मिल कर महाराष्ट्र में सरकार बना लिया है। अकाली दल ने अभी एनडीए से नाता नहीं तोड़ा है पर बादल का सरकार से इस्तीफा देना विपक्षी पार्टियों के यह प्रचार करने के लिए काफी है कि भाजपा से लोगों का भरोसा उठ रहा है और उसके सहयोगी उसे छोड़ रहे हैं। इससे केंद्र सरकार के कामकाज पर भी हमला करना आसान हो जाएगा।
तभी कांग्रेस पार्टी इस मामले को लेकर सक्रिय हो गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हरसिमरत कौर बादल को बधाई दी है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इस उपचुनाव में बादल का इस्तीफा और कृषि विधेयकों का विरोध एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। इसी तरह बिहार में विधानसभा चुनाव में भी विपक्षी पार्टियां इसे मुद्दा बना सकती हैं। बिहार में विवादित कृषि विधेयक का मुद्दा नहीं बन पाएगा क्योंकि वहां पहले से एपीएमसी की व्यवस्था नहीं है। पर बादल का इस्तीफा और गठबंधन में खींचतान का बड़ा मुद्दा बन सकता है।
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