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हुड्डा के लिए मुश्किल राह

ByNI Political,
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हुड्डा के लिए मुश्किल राह
कांग्रेस आलाकमान यानी सोनिया और राहुल गांधी ने मजबूरी में ही सही लेकिन भूपेंदर सिंह हुड्डा पर भरोसा दिखाया है। पूरा हरियाणा उनके हवाले किया है। हुड्डा विधायक दल के नेता हैं, उनके बेटे दीपेंदर हुड्डा राज्यसभा सांसद हैं और हुड्डा के कहने से उनकी पसंद का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। इसके बावजूद राज्य में हाल में हुए दो चुनावों में कांग्रेस को झटका लगा है। पहले राज्यसभा चुनाव में आलाकमान के पसंदीदा उम्मीदवार अजय माकन एक वोट से हार गए। विधायकों को क्रॉस वोटिंग से रोकने के लिए छत्तीसगढ़ के रिसॉर्ट में जाकर रखा गया। इसके बावजूद कुलदीप बिश्नोई और एक अन्य विधायक ने क्रॉस वोटिंग की। कांग्रेस एक अतिरिक्त वोट का इंतजाम नहीं कर पाई और न क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक की पहचान कर उसके खिलाफ कार्रवाई हुई। राज्य के प्रभारी विवेक बंसल का इस्तीफा हो गया है और अभी तक कोई नया प्रभारी नियुक्त नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि हुड्डा की पसंद का ही प्रभारी बनेगा। इस बीच आदमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भी कांग्रेस हार गई है। हुड्डा की पसंद से पूर्व सांसद जयप्रकाश को उम्मीदवार बनाया गया था। हुड्डा और उनके बेटे दीपेंदर हुड्डा ने क्षेत्र में बड़ी मेहनत भी की। लेकिन इसका नतीजा सिर्फ इतना रहा कि भाजपा उम्मीदवार कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई की जीत का अंतर थोड़ा कम हो गया। हुड्डा पिता-पुत्र उनको जीतने और इस सीट पर बिश्नोई परिवार का कब्जा बनाए रखने से रोक नहीं पाए। जाट वोट का बंटवारा भी हुआ। ध्यान रहे इस चुनाव में कांग्रेस का कोई दूसरा बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं गया था। तभी अब कहा जा रहा है कि लगातार दो हार के बाद रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी और कुमारी शैलजा की ओर से उनको काटने की राजनीति तेज होगी।
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