कर्नाटक चुनाव का नतीजा राज्य के बाहर भी कई जगह कांग्रेस की राजनीति पर असर डालेगा। जिन राज्यों में कर्नाटक के नतीजों का असर होगा उनमें एक राज्य हरियाणा भी है। हरियाणा के पूर्व मंत्री रणदीप सुरजेवाला कर्नाटक के प्रभारी हैं। वे कोई एक साल से कर्नाटक के प्रभारी हैं और इस दौरान उन्होंने जबरदस्त मेहनत भी की। वे लगातार कर्नाटक में डटे रहे और उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव की रणनीति बनाने तक वे हर जगह स्थानीय नेताओं के साथ मौजूद रहे। टिकट के फैसले में भी सुरजेवाला का रोल बहुत सकारात्मक था। उन्होंने किसी तरह की गड़बड़ी की बजाय चुनाव जीतने के पैमाने को आगे रखा। ध्यान रहे कर्नाटक की एक बड़ी ना मारग्रेट अल्वा ने एक चुनाव में टिकट बेचने का आरोप लगाया था। इस बार ऐसा कोई आरोप नहीं लगा है।
सो, इस जीत के बाद सुरजेवाला का कद बढ़ेगा और उसके साथ साथ हरियाणा कांग्रेस के सबसे बड़े क्षत्रप भूपेंदर सिंह हुड्डा की चिंता भी बढ़ेगी। ध्यान रहे हरियाणा में हुड्डा को चुनौती देने वाले पुराने क्षत्रप जैसे कुमारी शैलजा, किरण चौधरी आदि किनारे हो गए हैं और बीरेंद्र सिंह पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। अब अकेले सुरजेवाला बचे हैं, जो हुड्डा को चुनौती देते हैं। दोनों के बीच खींचतान की खबरें अक्सर आती हैं। उनके कर्नाटक जाने के बाद हरियाणा में हुड्डा का एकछत्र राज बना था। उनकी पसंद का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वे अपनी इस स्थिति को बनाए रखना चाहेंगे तो सुरजेवाला राज्य की राजनीति में अपनी भूमिका बढ़ाएंगे। टकराव की तैयारी अभी से शुरू हो गई है और इसका संकेत नतीजों के दिन हुड्डा के अपने सारे विधायकों को लेकर जंतर मंतर पर जाने और धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में दिखा। उन्होंने इस काम के लिए नतीजों का दिन चुना ताकि प्रदेश में सुरजेवाला से ज्यादा चर्चा उनके नाम की हो।