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हिमाचल में पहले ही जोड़ तोड़ शुरू

ByNI Political,
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हिमाचल में पहले ही जोड़ तोड़ शुरू
हिमाचल प्रदेश में नतीजों से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अभी से जोड़ तोड़ शुरू कर दी है। असल में पांच दिसंबर की शाम को आए एक्जिट पोल के अनुमानों के बाद दोनों पार्टियां सक्रिय हुई हैं। लगभग सभी एक्जिट पोल में कांटे की टक्कर बताई गई है। एक एक्जिट पोल नतीजे में दोनों पार्टियों को 33-33 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। कम से कम एक मीडिया समूह के एक्जिट पोल में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने का अनुमान है। एक-दो चैनलों ने भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान जाहिर किया है। लेकिन सबका अनुमान है कि मुकाबला बराबरी का है। तभी यह संभावना जताई जा रही है कि सरकार बनाने के लिए दोनों पार्टियों को बाहरी मदद की जरूरत पड़ सकती है। कांग्रेस को लग रहा है कि सीपीएम का एक विधायक जीता तो कांग्रेस का साथ देगा। दूसरी ओर भाजपा को लग रहा है कि उसके बागी जीते तो उनको मनाना आसान होगा। सो, कांग्रेस ने एक्जिट पोल के नतीजों से पहले ह दो बड़े नेताओं- भूपेश बघेल और भूपेंदर सिंह हुड्डा को पर्यवेक्षक बनाया है तो भाजपा की ओर से खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कमान संभाल रहे हैं, जिनका हिमाचल गृह प्रदेश है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी चुनाव बाद के हर सिनेरियो पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों निर्दलीय उम्मीदवारों के आगे पीछे घूम रहे हैं। दोनों पार्टियों ने किसी न किसी चैनल में बात करके उसके एक्जिट पोल की रिपोर्ट हासिल की है और जमीनी स्तर से फीडबैक मंगाई है, ताकि यह पता लग सके कि किस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीत सकता है। मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों की पहचान तो पहले से सबको है लेकिन जीतने की स्थिति में कौन है इसका पता लगाया गया है और उससे संपर्क किया जा रहा है। कांग्रेस से बागी होकर लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या बहुत कम है और उनमें से जीतने वाले तो बिल्कुल नगण्य हैं लेकिन भाजपा के 21 बागी उम्मीदवारों में से कम से कम छह ऐसे हैं, जो चुनाव जीत सकते हैं, जिन्होंने त्रिकोणात्मक मुकाबला बनाया है। इन छह में से जो दो सबसे मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों से दोनों पार्टियां संपर्क कर चुकी हैं। केएल ठाकुर ओर मनोहर धीमान ने मीडिया में इस बात की पुष्टि की है कि दोनों पार्टियों ने उनसे संपर्क किया है। ये दोनों सबसे मजबूत स्थिति में बताए जा रहे हैं। इन दो के अलावा राम सिंह मजबूत स्थिति में हैं। उन्होंने अपने को जनता का उम्मीदवार बताया है। उनके अलावा होशियार सिंह, इंदू वर्मा, अरकी से लड़े राजू, संजय पराशर आदि ऐसे नेता हैं, जो मजबूत हैं और दोनों पार्टियां या तो इनसे संपर्क साध चुकी हैं या संपर्क साधने का प्रयास कर रही हैं। अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो पहली बार होगा कि हिमाचल में जोड़ तोड़ की सरकार बनाने का प्रयास होगा। इसमें भाजपा का रिकॉर्ड ज्यादा बेहतर है।
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