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भाजपा के अपनों की टिकट काट दलबदलुओं को लड़ाना!

ByNI Political,
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भाजपा के अपनों की टिकट काट दलबदलुओं को लड़ाना!
जब चुनाव नहीं हो रहे होते हैं तो भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा आदर्शवादी बातें करने वाली पार्टी कोई दूसरी नहीं होती है। लेकिन चुनाव हो रहे हैं तो भाजपा से ज्यादा समझौते भी कोई दूसरी पार्टी नहीं करती है। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जिस तरह से टिकट बांटे हैं उससे साफ हो गया है कि नीति, सिद्धांत, निष्ठा आदि सिर्फ बात करने के लिए है, चुनाव जीतने के लिए दूसरी चीजें जरूरी हैं। तभी भाजपा ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले दर्जनों नेताओं को भाजपा की टिकट पर मैदान में उतारा। बिलकिस बानो के बलात्कारियों को संस्कारी लोग कहने वाले विधायक को फिर से टिकट देना या दंगे के आरोपी की बेटी को टिकट देना यह अपनी जगह है लेकिन कांग्रेस से आए डेढ़ दर्जन लोगों को भाजपा ने टिकट दी है। सोचें, एक तरफ तो भाजपा एंटी इन्कंबैंसी कम करने के लिए अपने विधायकों की टिकट काट रही है। उसने पिछली बार जीते अपने 38 विधायकों की टिकट काट दी है। यानी एक तिहाई से ज्यादा भाजपा विधायक इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और मंत्री रहे तमाम बड़े नेताओं को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है। लेकिन कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए 17 दलबदलू नेताओं को भाजपा ने टिकट दिया है। इनमें कम से कम सात ऐसे हैं, जो निवर्तमान विधायक हैं। यानी भाजपा को अपने विधायकों को लड़ाने में एंटी इन्कंबैंसी का खतरा दिख रहा है लेकिन कांग्रेस के विधायकों को टिकट देने में ऐसा कोई खतरा भाजपा को नहीं दिख रहा है!
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