आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान हिमाचल प्रदेश में रोड शो करके लौटे और उसके अगले ही दिन उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी अपने कई साथियों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। प्रदेश के एक महासचिव और ऊना जिले को अध्यक्ष ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। शुक्रवार को आधी रात के समय पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की मौजूदगी में ये नेता भाजपा में शामिल हुए। शुक्रवार की रात को ये नेता भाजपा में गए और शनिवार को आप नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को चरित्रहीन ठहरा दिया। सिसोदिया ने यह भी कहा कि पार्टी उनको निकालने ही वाली थी कि वे भाजपा में चले गए।
मनीष सिसोदिया ने अनूप केसरी पर महिलाओं से बदतमीजी और गंदी बातें करने वाला बताया है। सवाल है कि जब उनके ऊपर इस तरह के आरोप थे तो पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही थी? वे पिछले आठ-नौ साल से पार्टी से जुड़े थे और सितंबर 2020 में उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली के नेताओं के सहारे हिमाचल में राजनीति करने का आरोप लगाया तो उनको किनारे किया गया और जब वे भाजपा में चले गए तो उनको चरित्रहीन बता दिया गया। जिस तरह से कांग्रेस छोड़ने वाले नेता डरपोक, कायर और लालची ठहराए जा रहे हैं और भाजपा छोड़ने वाले देशद्रोही उसी तरह से आप छोड़ने वाले चरित्रहीन बताए जा रहे हैं। लेकिन असल में यह पार्टी के तमाम पुराने नेताओं को किनारे करने या बाहर करने की आम आदमी पार्टी की पुरानी नीति का ही नतीजा है कि हिमाचल के आप नेता पार्टी छोड़ कर गए हैं।