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10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक, सरकार की चुप्पी!

ByNI Political,
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10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक, सरकार की चुप्पी!
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई चल रही है, जिसमें 10 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने और संविधान की ओर से अल्पसंख्यकों को दी गई सुविधाओं का लाभ उठाने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है। इसमें अल्पसंख्यक आयोग कानून 1992 को चुनौती दी गई है। लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने इस पर चुप्पी साधी है। सुप्रीम कोर्ट के कई बार नोटिस जारी करने के बावजूद केंद्र सरकार इस पर जवाब नहीं दे रही है। सवाल है कि हिंदू हितों के लिए प्रतिबद्धता जताने वाली पार्टी की सरकार इस मामले में जवाब क्यों नहीं दे रही है? क्या भाजपा को लग रहा है कि राज्यवार धार्मिक अल्पसंख्यकों का मामला तय होने से कोई नुकसान होगा? Read also कंगाली छुपा कंगाली लाने वाला बजट! up-assembly election bjp ध्यान रहे भाजपा के नेता अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले में याचिका दी थी। पंकज डेका ने ऐसी ही एक याचिका गौहाटी हाई कोर्ट में दी थी और डेलिना खोंगडुप ने मेघालय हाई कोर्ट में ऐसी ही एक याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से याचिका अपने पास मंगा ली है। केंद्र ने इसका विरोध नहीं किया लेकिन उसके बाद केंद्र अपना पक्ष नहीं रख रहा है। ऐसा कम ही हुआ होगा कि सुप्रीम कोर्ट नाराज होकर केंद्र के ऊपर जुर्माना  लगा दे। इस मामले में ऐसा हुआ। जब सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया तो सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के ऊपर साढ़े सात हजार रुपए का जुर्माना लगा। अब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने आखिरी बार कोर्ट से समय मांगा है। इस मामले में केंद्र की हिचक का कारण समझना मुश्किल है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि भाजपा अपने ही देश के कुछ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक बताने से घबरा रही है या उसे यह लग रहा है कि अगर कुछ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यकों वाले अधिकार मिलने लगे तो बाकी राज्यों में मुसलमान, सिख, ईसाई आदि के अधिकारों का मामला उठेगा?
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