यह लाख टके का सवाल है कि चुनाव आयोग कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वायनाड सीट पर उपचुनाव की घोषणा करने के लिए कब तक इंतजार करेगा? राहुल गांधी को 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराया था और दो साल की सजा सुनाई थी। उसके अगले दिन 24 मार्च को लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त कर दी और वायनाड सीट खाली घोषित कर दी थी। इस तरह वायनाड सीट खाली हुए एक महीने हो गए।
लोकसभा सचिवालय की ओर से राहुल गांधी की लोकसभा सीट खाली घोषित किए जाने के पांच दिन बाद 29 मार्च को चुनाव आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की घोषणा की थी। उस दिन प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से वायनाड सीट के उपचुनाव के बारे में पूछा गया था तब उन्होंने कहा था कि आयोग इस बारे में फैसला करने से पहल इंतजार करेगा। उन्होंने कहा था कि अभी छह महीने का समय है। सो, अब सवाल है कि चुनाव आयोग वायनाड सीट पर उपचुनाव की घोषणा करने के लिए कितना और इंतजार करेगा?
यह सही है कि कोई भी लोकसभा या विधानसभा सीट खाली होने के बाद छह महीने तक चुनाव कराने का समय होता है। लेकिन जब आयोग किसी राज्य का चुनाव कराने की घोषणा करे तो उस समय खाली सभी सीटों पर उपचुनाव भी होते हैं। जैसे कर्नाटक के साथ जालंधर लोकसभा और चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों के उपचुनाव हो रहे हैं। तभी यह उम्मीद की जा रही थी कि वायनाड सीट खाली हो गई है तो वहां भी चुनाव हो सकता है। आखिर लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की सीट खाली होने के साथ ही आयोग ने चुनाव की घोषणा कर दी थी। सवाल है कि उस मामले में अदालत से लगे झटके की वजह से आयोग वायनाड सीट पर चुनाव नहीं घोषित कर रहा है? क्या राहुल के मामले में भी आयोग को पता है कि सजा पर रोक लग जाएगी और चुनाव कराने की नौबत नहीं आएगी?
असल में यहां तू डाल-डाल, मैं पात-पात का खेल चल रहा है। कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त किए जाने को एक मौका मान रही है और इसका राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है। इसलिए वह बेहद सुस्त चाल से कानूनी उपाय आजमा रही है। पहले तो सीजेएम की अदालत के फैसले के बाद 10 दिन तक कांग्रेस ने अपील नहीं की। उसके बाद अपील की तो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की बजाय जिला अदालत में की। वहां से राहुल की अपील खारिज होने के बाद भी पार्टी ने ऊपरी अदालत में अपील करने की जल्दबाजी नहीं दिखाई। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस कम से कम कर्नाटक चुनाव तक इसका इस्तेमाल कर रही है। उस समय तक चुनाव आयोग भी इंतजार करेगा। आयोग के जानकार सूत्रों का कहना है कि हाई कोर्ट से राहुल को राहत मिल जाएगी और उपचुनाव कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।