
कांग्रेस पार्टी को उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा विधानसभा चुनाव लड़ा रही हैं। तीन साल पहले लोकसभा चुनाव भी पार्टी ने उन्हीं की कमान में लड़ा था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उनको सक्रिय राजनीति में उतारा गया था। वे महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनी थीं। सबको पता है कि उसमें कांग्रेस का क्या हस्र हुआ था। कांग्रेस की दो पारंपरिक सीटों में से एक अमेठी सीट पर राहुल गांधी हार गए थे। उसके बाद प्रियंका गांधी वाड्रा काफी समय तक लापता रहीं और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सक्रिय हुईं। लेकिन पिछले एक साल में उत्तर प्रदेश में जैसी भगदड़ मची है और जितने नेताओं ने पार्टी छोड़ी है उससे हैरानी हो रही है कि प्रियंका कैसे चुनाव लड़वाएंगी? Priyanka gandhi UP election
पिछले एक साल में एक दर्जन बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ी। 2017 के विधानसभा चुनाव में जीते पार्टी के सात में से पांच विधायक पाला बदल चुके हैं। पिछली बार मजबूती से लड़े उम्मीदवारों में से भी काफी लोग पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। कांग्रेस के झारखंड प्रभारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने अभी पाला बदला है। एक और केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने पिछले साल पाला बदला था और इस समय वे योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री हैं। स्वर्गीय कमलापति त्रिपाठी के परिवार से राजेश पति और ललितेश पति त्रिपाठी कांग्रेस छोड़ चुके हैं और ललितेश पति इस बार तृणमूल कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का मुस्लिम चेहरा रहे इमरान मसूद भी कांग्रेस छोड़ कर चले गए हैं और उससे पहले मसूद अख्तर ने भी पार्टी छोड़ दी थी। पार्टी ने बड़े धूम-धड़ाके से अदिति सिंह को कांग्रेस में शामिल कराया था लेकिन चुनाव से पहले वे भी कांग्रेस छोड़ कर जा चुकी हैं। पूर्व सांसद प्रवीण एरन की पत्नी सुप्रिया एरन, विधायक नरेश सैनी, रामकुमार सिंह सहित कई नेता पार्टी छोड़ चुके। इनकी जगह कांग्रेस की ओर से नए चेहरों का हल्ला मचाया गया है लेकिन क्या नए चेहरे किसी वैचारिक प्रतिबद्धता की वजह से कांग्रेस से जुड़ रहे हैं या सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं?
बहरहाल, बड़ा सवाल यह है कि प्रियंका गांधी वाड्रा की इतनी सक्रियता, मीडिया व सोशल मीडिया के जरिए धारणा बनवाने और महिला राजनीतिक हल्ला बनवाने के बावजूद क्यों पार्टी से इतने नेताओं का पलायन हो रहा है? प्रियंका क्यों नहीं पार्टी नेताओं में भरोसा पैदा कर पा रही हैं? इसका क्या यह मतलब नहीं है कि प्रियंका अपनी प्रेस कांफ्रेंस के जरिए चाहे जो धारणा बनवाएं, जमीनी स्तर पर कांग्रेस का आधार नहीं है और इसलिए कांग्रेस के नेता अपने लिए कोई संभावना नहीं देख कर पार्टी से पलायन कर रहे हैं? Priyanka gandhi UP election