भारतीय जनता पार्टी हैदराबाद के नगर निगम चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन यानी एआईएमआईआई के बिहार में किए अहसान का बदला चुका रही है। भाजपा ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव को भाजपा बनाम एमआईएम बनाया है। इससे भी आगे बढ़ कर भाजपा ने इसे असदुद्दीन ओवैसी बनाम अमित शाह या असदुद्दीन ओवैसी बनाम योगी आदित्यनाथ बनाया है। तभी ओवैसी को कहने का मौका मिला कि अब सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप का प्रचार में आना बाकी रह गया।
सोचें, अमित शाह ने हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी को कितना बड़ा बना दिया, जो उन्होंने कहा कि ओवैसी के हंगामे की वजह से सरकार बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को नहीं निकाल पा रही है। उन्होंने कहा कि ओवैसी लिख कर दें तो देखें सरकार बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है। सोचें, विपक्ष को ठेंगे पर रख कर अमित शाह संसद में कश्मीर का विशेष राज्य का दर्ज बदल देते हैं, समूचे विपक्ष के विरोध के बावजूद कृषि कानून बदल देते हैं, श्रम कानूनों में सुधार कर देते हैं पर एक अकेले ओवैसी के विरोध के कारण बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को निकालने का फैसला नहीं कर पाते हैं! इसका क्या यह मतलब नहीं है कि एक ओवैसी संसद में समूचे विपक्ष से भारी हैं?