विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्लुएचओ ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन यानी एचसीक्यू का विरोध क्यों किया है? क्या यह चीन की शह पर किया गया है? क्या चीन ने भारत और अमेरिका दोनों का विरोध करने या दोनों को नीचा दिखाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरिए यह काम कराया है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों देशों इस दवा का इस्तेमाल हो रहा है। दुनिया के और भी कई देशों में भारत ने यह दवा भेजी है और परीक्षण के बाद वे इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। डब्लुएचओ पर संदेह इसलिए पैदा हो रहा है क्योंकि उसने तब इस पर रोक लगाने का ऐलान किया, जब यह खबर आई कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह दवा ले रहे हैं। बताया गया है कि डॉक्टरों की देख-रेख में ट्रंप ने इस दवा का कोर्स पूरा किया है।
इसी बीच भारत में इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, आईसीएमआर ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के इस्तेमाल की अनुमति दी। आईसीएमआर की अनुमति के बाद इसे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य कोरोना वारियर्स को देने की तैयारी शुरू हुई। भारत और दूसरी कई जगहों पर इस दवा का परीक्षण सफल रहा है। हालांक उम्रदराज और दूसरी बीमारी वाले लोगों को इससे नुकसान होने की भी खबर है। लेकिन ट्रंप के इसका इस्तेमाल करने और भारत में आईसीएमआर की ओर से इसके इस्तेमाल की मंजूरी दिए जाने के तुरंत बाद डब्लुएचओ का इस पर रोक लगाना संदेह पैदा करता है।
डब्लुएचओ ने एचसीक्यू का विरोध क्यों किया?
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