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विपक्ष की राजनीति किसके हाथ में?

ByNI Political,
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विपक्ष की राजनीति किसके हाथ में?
विपक्ष की राजनीति किसके हाथ में है? निश्चित रूप से कांग्रेस के हाथ में नहीं है और उसमें भी राहुल गांधी के हाथ में तो कतई नहीं! तो क्या ममता बनर्जी या के चंद्रशेखर राव विपक्षी राजनीति की कमान संभाल रहे हैं? ये दोनों नेता भागदौड़ करते दिखते हैं लेकिन कुल मिला कर इनका फोकस अपने राज्य पर है। ये दोनों नेता किसी तरह राज्य की राजनीति की डोर अपने हाथ में रखने की राजनीति कर रहे हैं। इनको लग रहा है कि अगर भाजपा को कमजोर नहीं किया गया तो इन दोनों के राज्य में भी भाजपा को रोका नहीं जा सकेगा। इसलिए ये दोनों नेता खूब भागदौड़ करते हैं। बाकी विपक्षी नेताओं में एमके स्टालिन या एचडी देवगौड़ा आदि को दिल्ली की राजनीति से कोई मतलब नहीं है। politics of the opposition Read also उफ! सत्ता का ऐसा अहंकार! तभी कहा जा रहा है कि इस समय दो नेता समूचे विपक्ष की राजनीति को नियंत्रित कर रहे हैं। उनमें से एक शरद पवार हैं और दूसरे सीताराम येचुरी। राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पद का विपक्ष का उम्मीदवार तय कराने में सबसे ज्यादा भूमिका इन्हीं दोनों नेताओं की है। राष्ट्रपति पद के लिए यशवंत सिन्हा का नाम भले सबसे पहले ममता बनर्जी ने लिया था लेकिन बाद में उन्होंने खुद ही विपक्षी नेताओं से एक बातचीत में माना कि उन्होंने सिन्हा को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने को नहीं कहा था। असल में उनके नाम पर अंतिम मुहर येचुरी ने लगवाई थी। इसी तरह उप राष्ट्रपति पद के लिए मार्गरेट अल्वा का नाम शरद पवार ने तय कराया। ममता बनर्जी इस वजह से भी नाराज बताई जा रही हैं कि क्यों विपक्षी राजनीति में येचुरी को इतना महत्व दिया जा रहा है। उनको लग रहा है कि कांग्रेस की वजह से येचुरी को महत्व मिल रहा है। बहरहाल, विपक्षी पार्टियों की एकजुटता बनाने के प्रयास में येचुरी की अहम भूमिका बनी रहने वाली है।
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