भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीनेशन का अभियान 38 दिन से चल रहा है। भारत में दो वैक्सीन को मंजूरी दी गई और दोनों वैक्सीन हर राज्य में भेजी जा रही है। हालांकि कुछ राज्य भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक इसके तीसरे चरण के परीक्षण का डाटा नहीं आ जाता है तब तक वे इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे। कई जगह स्वास्थकर्मियों ने कोवैक्सीन लगवाने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका तीसरे चरण का डाटा अभी तक नहीं आया है। तीसरे चरण में यह डाटा आना है कि वैक्सीन कितनी कारगर है।
सोचें, अभी इसी बात का डाटा नहीं आया है कि वैक्सीन कितनी प्रभारी है लेकिन भारत में 38 दिन से वह वैक्सीन लगाई जा रही है। इस वैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि वैक्सीन के कारगर होने का डाटा दो हफ्ते में आएगा। यानी वैक्सीन लगनी शुरू होने के 53 दिन बाद पता लगेगा कि यह कितनी कारगर है। तभी इस वैक्सीन को मंजूरी देने के पीछे की जल्दबाजी का कारण समझ में नहीं आया। ज्यादातर जगहों पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं हुआ। राज्यों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोवीशील्ड का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद सरकार ने कोवीशील्ड के साथ साथ कोवैक्सीन का भी इस्तेमाल शुरू कर दिया। दुनिया में अभी जितनी कोराना वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है उसमें कहीं भी ऐसा नहीं हुआ है कि उसके असर का आकलन किए बगैर वैक्सीनेशन शुरू कर दी गई हो।