चीन को लेकर भारत कई किस्म के मुगालतों में रहता है। उनमें से एक भ्रम भारत ने यह पाला था कि सैन्य व कूटनीतिक वार्ता और सहमति के बाद अब चीन पीछे हट जाएगा और यथास्थिति बहाल हो जाएगी। या यथास्थिति नहीं भी बहाल होती है तो फेस सेविंग हो जाएगी। पर उलटा हो रहा है। उसने भारत की उत्तरी सीमा यानी लद्दाख में तो पीछे हटने से मना कर ही दिया है अब उत्तरी सीमा पर भारत और भूटान दोनों को परेशान कर रहा है। उसकी नई बदमाशी यह है कि वह भूटान के ऐसे इलाके पर दावा कर रहा है, जो सीधे उसकी सीमा से जुड़ती भी नहीं है।
तभी सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चैलानी ने कहा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद संभवतः पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई देश किसी दूसरी देश के ऐसे इलाके पर दावा कर रहा है, जहां जाने के लिए उसे तीसरे देश से गुजरना होगा। सोचें, ऐसी बदमाशी और दादागिरी की मिसाल कहीं मिलेगी? चीन ने छोटे से देश भूटान के पूर्वी इलाके में साकतेंग वन जीव संरक्षित उद्यान पर दावा कर दिया है। दोनों देशों के बीच 1984 से लेकर अब तक 24 बार सीमा मुद्दे पर चर्चा हुई है और उसने कभी इस पर दावा नहीं किया था। ध्यान रहे यह उद्यान अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटा है। सो, स्पष्ट है कि चीन किस मकसद से इस विवाद को बढ़ा रहा है। ऐसा लग रहा है कि उसने भूटान के हिस्से वाले डोकलाम पर कब्जा कर लिया है और अब भारत को परेशान करने के लिए भूटान के पैकेज डील का ऑफर दे रहा है।