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अचानक बढ़ी रूस की अहमियत

ByNI Political,
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अचानक बढ़ी रूस की अहमियत
भारत और चीन के बीच सीमा पर चल रहे टकराव और दोनों देशों की फौजों के बीच हुई हिंसक झड़प की वजह से अचानक रूस महत्वपूर्ण हो गया है। हालांकि रूस ने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा है। उसकी बजाय अमेरिका के बड़बोले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया है वे दोनों देशों से बात कर रहे हैं और मध्यस्थता भी कर सकते हैं। पर ऐसा लग रहा है कि भारत उनकी बात में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहा है। भारत की दिलचस्पी रूस में दिख रही है। ध्यान रहे इस समय चीन और रूस में बहुत अच्छी दोस्ती है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग एक दूसरे का बहुत सम्मान करते हैं। तभी कई सामरिक जानकार मान रहे हैं कि रूस पहल करके मामले को शांत कर सकता है। वह चीन के पीछे हटने के लिए भी तैयार कर सकता है। रूस का महत्व कैसे बढ़ा है वह इस बात से भी जाहिर हो रहा है कि रक्षा और विदेश मंत्री दोनों दो दिन के अंतराल में रूस के अपने समकक्षों के साथ वार्ता करेंगे। पहले मंगलवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवारोव ने एक वीडियो कांफ्रेंसिंग की मेजबानी की, जिसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी शामिल हुए। मौजूदा तनाव के बीच यह बहुत अच्छा संकेत है। इसके एक दिन बाद बुधवार को मॉस्को में विक्टरी डे परेड होगी, जिसमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगे शामिल होंगे। कोरोना वायरस के इस संकट के बीच भी भारतीय रक्षा मंत्री का रूस जाना मामूली बात नहीं है। भारत और रूस के रक्षा मंत्री हथियार सौदे में तेजी लाने के मसले पर भी बात करेंगे। इतना ही नहीं भारत पिछले कुछ समय से चीन के साथ चल रहे विवाद में रूस को हर घटनाक्रम की जानकारी दे रहा है। जैसे छह जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता से पहले भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने रूस के राजदूत निकोलाई कुदाशेव को हालात के बारे में जानकारी दी थी। इसी तरह 15 जून की रात को हुई हिंसक झड़प के बाद 17 जून को रूस में भारत के राजदूत डी बाला वेंकटेश वर्मा ने रूस के उप विदेश मंत्री इगोर मोरगुलोव से वार्ता की थी, जिसमें सीमा पर के हालात के बारे में भी चर्चा हुई थी।
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