मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा स्पीकर मोहम्मद नशीद के ऊपर जानलेवा हमला हुआ है। उन्हें मारने के लिए बड़ा विस्फोट किया गया। विस्फोट में वे बुरी तरह से घायल हुए और कई सर्जरी के बाद अब उनकी स्थिति स्थिर है। वे होश में आ गए हैं। इस बात की लगभग पुष्टि हो गई है कि इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों ने नशीद के ऊपर हमला किया। असल में नशीद इस्लामी कट्टरपंथी संस्थाओं के निशाने पर इसलिए हैं क्योंकि वे भारत के दोस्त हैं। उन्होंने भारत का साथ दिया और चीन समर्थित अब्दुल्ला यामिन की सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से हरा कर इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की नई सरकार उन्होंने बनवाई। इस वजह से चीन भी नाराज है और इस्लामी कट्टरपंथी संगठन भी नाराज हैं।
सो, भारत को नशीद पर हुए हमले को गंभीरता से लेना चाहिए। हिंद महासागर के छोटे से देश मालदीव का बहुत सामरिक और रणनीतिक महत्व है। तभी मनमोहन सिंह के जमाने में जब मोहम्मद नशीद की सरकार का तख्तापलट हुआ तो भारत ने उनको बचाया। वे 28 दिन तक भारतीय दूतावास में रहे थे। बाद में उनको दूसरे देश में शरण दिलाने में भी भारत ने अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद उन्होंने फिर अपनी ताकत जुटाई और मालदीव की चीन समर्थित सरकार को हरवाया। सो, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनके ऊपर हुए हमले के पीछे चीन की साजिश भी हो। भारत को इस पहलू से इस मामले को उठाना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस ओर खींचना चाहिए।
नशीद पर हमले को गंभीरता से ले भारत
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