
यह कमाल की बात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कही है। उन्होंने 14 देशों के राजदूतों और उच्चायुक्तों के साथ एक बैठक में कहा कि समान नागरिक संहिता भाजपा का चुनावी एजेंडा नहीं है। नड्डा ने यह भी कहा कि भाजपा सबका साथ, सबका विकास की राजनीतिक अवधारणा में विश्वास करती है। यह बात उन्होंने एक विदेशी राजनयिक की ओर से सवाल पूछने पर कही थी। असल में 14 देशों के राजनयिक भाजपा मुख्यालय गए थे, जहां पार्टी अध्यक्ष और अन्य नेताओं ने उनको भाजपा के बारे में जानकारी दी। भाजपा को जानें कार्यक्रम के तहत राजनयिकों ने यह मुलाकात की थी।
एक राजनयिक ने समान नागरिक संहिता को लेकर सरोकार दिखाया तो पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि यह भाजपा का एजेंडा नहीं है। लेकिन क्या सचमुच यह भाजपा का एजेंडा नहीं है? फिर कैसे भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने की कवायद चल रही है? उत्तराखंड में सरकार ने कमेटी बना कर इस बारे में रिपोर्ट मंगाई है और वह इसे लागू करने की तैयारी कर रही है। हिमाचल प्रदेश में भी इसे लागू करने की बात हुई है तो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भी भाजपा की सरकारें इस पर विचार कर रही हैं। फिर भाजपा अध्यक्ष के इनकार का क्या मतलब है? क्या एक पार्टी के तौर पर भाजपा अपनी सरकारों से खुद को अलग कर रही है? भाजपा की सरकारें और उसके नेता खुद ही समान नागरिक संहिता का इतना प्रचार कर रहे हैं तो कैसे किसी राजनयिक को नड्डा की बात पर यकीन आएगा।