कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए ज्यादा मुश्किल पदाधिकारियों का चयन है या कांग्रेस कार्य समिति का गठन ज्यादा मुश्किल है? कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि कार्य समिति बनाना सबसे बड़ी चुनौती है। जानकार सूत्रों के मुताबिक पदाधिकारियों के चयन में कोई मुश्किल नहीं आने वाली है। अभी सोनिया गांधी की बनाई टीम काम कर रही है और उसमें खड़गे कोई खास बदलाव नहीं करेंगे। जो महासचिव जिस राज्य में प्रभारी है उसके वहां बने रहने की ज्यादा संभावना है। अगर कुछ बदले जाएंगे तो उनकी संख्या बहुत कम होगी। इसी तरह कांग्रेस का संचार विभाग है उसमें भी बदलाव की संभावना ज्यादा नहीं दिख रही है। कुछ नए प्रवक्ता नियुक्त हो सकते हैं, कुछ राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे और यूथ कांग्रेस सहित कुछ अनुषंगी संगठनों में नई नियुक्ति होनी है।
असली मुश्किल कार्य समिति बनाने की है, जिसमें एक मुद्दा तो यह है कि किन लोगों को इसमें रखा जाए ताकि कार्य समिति नई भी दिखे, साख भी बनी रहे और परिवार के प्रति निष्ठावान सारे लोग एडजस्ट भी हो जाएं। ध्यान रहे कांग्रेस के अंदर जो जी-23 बना था, उसके बाद से सोनिया व राहुल गांधी दोनों बहुत आशंकित हैं। वे ऐसे लोगों को कार्य समिति में नहीं लाना चाहते हैं, जो नेतृत्व पर सवाल उठा सकें। इसी से जुड़ा दूसरा चुनौती वाला मुद्दा चुनाव और मनोनयन का है। कार्य समिति में आधे सदस्यों के चुनाव का प्रावधान है। लेकिन लग नहीं रहा है कि पार्टी इसके लिए तैयार है। खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद जब कार्य समिति की चर्चा हुई थी तो कहा गया था कि राहुल गांधी चाहते हैं कि 11 सदस्यों का चुनाव हो। लेकिन उसके बाद यह चर्चा स्थगित हो गई। तभी लग रहा है कि सभी सीटों पर सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार अध्यक्ष को दे दिया जाएगा और वे निष्ठावान लोगों को कार्य समिति में मनोनीत कर देंगे।