एक्जिट पोल के नतीजों में झारखंड में कांग्रेस पार्टी के आश्चर्यजनक प्रदर्शन करने का अनुमान है। एक्जिट पोल के नतीजे कांग्रेस को 12 या उससे भी ज्यादा सीट मिलने का अनुमान जता रहे हैं। ध्यान रहे कांग्रेस झारखंड में 31 सीटों पर लड़ी है और अगर एक्जिट पोल अनुमान सही हुए तो उसकी स्ट्राइक रेट 50 फीसदी के करीब होगी। झारखंड के अलग होने के बाद हुए अब तक के तीन चुनावों में भाजपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन 14 सीट का था, जब वह बाबूलाल मरांडी की पार्टी के साथ तालमेल करके लड़ी थी। पर तब वह 56 सीटों पर लड़ी थी।
कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन का श्रेय प्रभारी आरपीएन सिंह और उनकी टीम को जाएगा। इसका कारण यह है कि कांग्रेस के पास प्रदेश में कोई प्रभावी टीम नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार ऐन चुनाव से पहले पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी में चले गए थे। नए अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त हुए रामेश्वर उरांव बुजुर्ग हैं और उनका सारा फोकस अपने खुद के चुनाव पर रहा। सो, चुनाव लड़ाने की पूरी जिम्मेदारी आरपीएन सिंह की थी। उनकी भी टीम कोई बहुत लंबी चौड़ी नहीं है। उनके साथ काम करने के लिए पांच कार्यकारी अध्यक्ष थे पर थे पर उनमें से भी एक इस्तीफा देकर चुनाव लड़ गया। ले-देकर राजेश ठाकुर अकेले कार्यकारी अध्यक्ष थे, जो पूरे प्रदेश में प्रभारी और तमाम राष्ट्रीय नेताओं के साथ घूम कर प्रचार में लगे रहे।
मोटे तौर पर आरपीएन सिंह की कोर टीम सह प्रभारी उमंग सिंघार, कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर और हरियाणा के अजय शर्मा को मिला कर बनी है। प्रचार से लेकर रणनीति तक में प्रदेश के बड़े नेताओं में राजेश ठाकुर को बडी भूमिका निभाने का मौका इसलिए भी मिल गया क्योंकि पार्टी के कई बड़े नेता जैसे, प्रदीप बालमुचू, सुखदेव भगत, मनोज यादव आदि दूसरी पार्टियों में चले गए। बचे हुए बड़े नेता- रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, राजेंद्र सिंह आदि खुद चुनाव लड़ रहे थे।