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मरांडी के फैसले का होगा बड़ा असर

ByNI Political,
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मरांडी के फैसले का होगा बड़ा असर
वसीम बरेलवी का शेर है- उसी को जीने का हक है जो इस जमाने में, इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए। झारखंड के विधानसभा चुनाव के दौरान जेवीएम के नेता बाबूलाल मरांडी के लिए लग रहा था कि वे भाजपा की ओर हैं पर चुनाव के बाद वे जेएमएम के हो गए। झारखंड में चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले से एक निश्चित योजना के तहत यह मैसेज हो गया था कि मरांडी इस बार भाजपा की मदद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह से उनकी मुलाकात की खबरें आईं और यह भी कहा गया कि उनको इस बार विधायक बनाने के लिए भाजपा ने अपने ही उम्मीदवार को हराने के लिए काम किया। नई सरकार में उनकी कई किस्म की उपयोगिता की चर्चा थी। पर नतीजे ऐसे आए कि उनकी कोई उपयोगिता नहीं रह गई। फिर भी आगे की राजनीति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने जेएमएम के साथ जाने का फैसला किया। उनका यह फैसला राजनीति को कैसे प्रभावित करेगा, यह बाद में पता चलेगा पर तात्कालिक असर मार्च में ही दिख जाएगा, जब झारखंड की दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। एक सीट जीतने के लिए 28 वोट की जरूरत होगी। अपने दम पर जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन एक सीट जीत सकता है। दूसरी सीट के लिए उसे नौ वोट की जरूरत होगी। मरांडी की पार्टी के साथ हो जाने से उसकी जरूरत छह वोट की रह गई है। यह तब होगा, जब भाजपा के भाजपा के 25 विधायकों को छोड़ कर आजसू के दो और चार अन्य विधायक उसके साथ जाएं। यह सीट जीतने के लिए भाजपा को तीन वोट की जरूरत होगी, जिसके लिए उसे बहुत पापड़ बेलने होंगे। राज्यसभा चुनाव की तस्वीर पहले भी उलझी ही थी पर सरकार के साथ जाकर मरांडी ने इसे और उलझा दिया है, जिसे वे ही सुलझाएंगे।
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