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झारखंड में क्या फिर अस्थिरता फैलेगी?

ByNI Political,
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झारखंड में क्या फिर अस्थिरता फैलेगी?
झारखंड सरकार ने पिछले हफ्ते तीन दिन तक दिल्ली में निवेशक सम्मेलन किया और उसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दक्षिण भारत के मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए निकल गए। इस बीच मुख्यमंत्री के पूरे परिवार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा कसने की खबरें आनी चालू हो गईं हैं। असल में पिछले साल पांच अगस्त को भाजपा के सांसद निशिकांत दूबे ने लोकपाल में एक याचिका देकर शिबू सोरेन के ऊपर भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने के आरोप लगाए थे। लोकपाल ने उस याचिका के आधार पर केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के पीई यानी प्रीलिमिनरी इन्क्वायरी दर्ज करने की इजाजत दे दी थी। करीब एक साल की जांच के बाद सीबीआई ने जो सामग्री जुटाई है उसके आधार पर कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री सहित उनके परिवार के कई सदस्यों पर नियमित मुकदमा दर्ज हो सकता है। Read also इस महीने उपचुनावों की घोषणा संभव पिछले हफ्ते 27 अगस्त को लोकपाल की फुल बेंच की बैठक होनी थी, जिसमें फैसला होना था। उसी दिन निशिकांत दूबे ने तिरूपति के मंदिर में दर्शन करने के बाद ट्विटक पर बिना बालों वाली अपनी एक फोटो डाली और लिखा- दुश्मनों के संहार और देवघर के विकास के लिए! इससे अटकलें तेज हो गईं। हालांकि 27 अगस्त का फैसला टल गया और इस हफ्ते उस पर फैसला आ सकता है। बताया जा रहा है कि शिबू सोरने पर मुकदमे के लिए राज्यसभा के सभापति की मंजूरी और हेमंत सोरेन पर मुकदमे के लिए राज्यपाल की मंजूरी मांगने की तैयारी हो रही है। अगर ऐसा होता है तो झारखंड में एक बार फिर अस्थिरता फैलेगी। ध्यान रहे मुख्यमंत्री के ऊपर एक युवती के साथ कथित तौर पर बलात्कार के आरोप का एक मुकदमा अलग चल रहा है। असल में राज्य में जेएमएम-कांग्रेस की साझा सरकार बनने के बाद से ही भाजपा के नेता किसी तरह से सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई है। पिछले दिनों विधायकों की खरीद-फरोख्त का भी खुलासा हुआ था। अब लोकपाल के जरिए प्रयास किया जा रहा है।
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