झारखंड में सत्तारूढ़ पार्टी और मुख्य विपक्षी पार्टी की राजनीति एक दूसरे से बदला लेना यानी जैसे को तैसा वाले रास्ते पर चलती दिख रही है। बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने और विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद से ही यह राजनीति तेज हुई है। ऐसा लग रहा है कि मरांडी बहुत जल्दबाजी में हैं और उनके करीबी सहयोगी उनको इसी विधानसभा में मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प किए हुए हैं। तभी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ एक पुराने मुकदमे को जिंदा किया गया। उनके खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महाराष्ट्र की एक युवती की सुरक्षा का मुद्दा उठा कर याचिका दायर की गई और मरांडी के सहयोगियों ने बांबे हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक एक कर दिया कि किसी तरह हेमंत इस मामले में फंसें। (Jharkhand politics BJP JMM)
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इस बीच राज्य एक आदिवासी युवती ने हेमंत सोरेन के पीछे पड़े मरांडी के एक सहयोगी पर यौन शोषण का मुकदमा दर्ज करा दिया और पुलिस सारे काम छोड़ कर उनको पकड़ निकल पड़ी। कई दिन पीछा करने के बाद आखिरकार पुलिस ने उनको उत्तर प्रदेश के इटावा में गिरफ्तार कर लिया। अब कहा जा रहा है कि जल्दी ही दूसरे पक्ष के किसी व्यक्ति यानी हेमंत सोरेन के किसी सहयोगी को केंद्रीय एजेंसियां पकड़ सकती हैं। गौरतलब है कि राज्य पुलिस की एक सब इंस्पेक्टर रूपा तिर्की की आत्महत्या के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि का नाम आ रहा है। हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है। अगर मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि को केंद्रीय एजेंसी पकड़ती है तो उसका दूरगामी असर होगा। दूसरे लोग भी निशाने पर आएंगे।