अयोध्या में राममंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच में शामिल जज एक बार फिर चर्चा में हैं। यह चर्चा जस्टिस एस अब्दुल नजीर की वजह से शुरू हुई है। जस्टिस नजीर को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए डेढ महीना नहीं हुआ है और उनको आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्य का राज्यपाल बना दिया गया है। जस्टिस अयोध्या पर फैसला देने वाली पांच जजों की बेंच में शामिल थे। उस बेंच के चार जज रिटायर हुए हैं, जिनमें से तीन को बहुत अच्छी जगह पर नियुक्त कर दिया गया है। सिर्फ एक जज चीफ जस्टिस होकर रिटायर हुए और अभी तक उनका पुनर्वास नहीं हुआ है।
अयोध्या पर फैसला देने वाली पांच जजों की बेंच के प्रमुख थे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जिनको रिटायर होने के तुरंत बाद राज्यसभ में मनोनीत कर दिया गया था। उन्हें लेकर और भी कई विवाद हुए थे, जिनमें एक विवाद यह था कि अपने खिलाफ शिकायत का मुकदमा सुनने भी खुद बैठ गए थे। बहरहाल, अब वे राज्यसभा से सम्मानित सदस्य हैं। उस बेंच में शामिल रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अभी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं और वे नवंबर 2024 तक चीफ जस्टिस रहने वाले हैं।
अयोध्या बेंच में शामिल जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े चीफ जस्टिस होकर रिटायर हुए और हैरानी की बात है कि अभी तक उनका पुनर्वास नहीं हो पाया है। चीफ जस्टिस रहते वे भी कई कारणों से चर्चा में रहे थे। उनकी आरएसएस से करीबी की भी चर्चा रही थी। बहरहाल, अयोध्या बेंच के जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर राज्यपाल बन गए हैं। उसमें शामिल एक अन्य जज जस्टिस अशोक भूषण को एनसीएलएटी का चेयरमैन बनाया गया है। जिस क्रम में जो रिटायर होता गया उसी क्रम में उसकी किसी नए पद पर नियुक्ति होती गई।