पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से बंगला खाली कराया जा रहा है। केंद्र में मंत्री बनने पर उनको 27, सफदरजंग रोड का बंगला आवंटित हुआ था। पिछले साल जुलाई में उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और उसी समय ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्र में मंत्री बनाया गया। तभी से उस बंगले को खाली कराने की मुहिम चल रही है। वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि सिंधिया के पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया उस बंगले में रहते थे और बाद में ज्योतिरादित्य भी उसी बंगले में रहे। सोचें, परिवारवाद और वंशवाद का इतना विरोध करने वाली पार्टी की सरकार चाहती है कि एक परिवारवादी नेता को वह बंगला मिले, जिसमें उनके पिता रहा करते थे!
बहरहाल, रमेश पोखरियाल निशंक अगर केंद्रीय मंत्री नहीं हैं, तब भी वे लोकसभा के सांसद हैं और एक राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के नाते उनको दिल्ली में बंगला आवंटित होगा। पूर्व मुख्यमंत्रियों को कैबिनेट मंत्री की तरह बंगला आवंटित होता है। उत्तर प्रदेश में एक दिन के लिए मुख्यमंत्री रहे जगदंबिका पाल को भी बंगला आवंटित हुआ है। सो, निशंक केंद्रीय मंत्रियों को मिलने वाले बंगले के हकदार हैं। इस लिहाज से उनको दो, तुगलक लेन का बंगला आवंटित हुआ है। सवाल है कि दो, तुगलक लेन का बंगला ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्यों नहीं दे दिया जा रहा है? निशंक से जबरदस्ती 27, सफदरजंग रोड का बंगला खाली करा कर सिंधिया को उनकी पसंद का बंगला देने की भाजपा की क्या मजबूरी है?