कर्नाटक विधानसभा का चुनाव सिर्फ राज्य की भौगोलिक सीमा के दायरे में नहीं लड़ा जा रहा है। उससे बाहर भी एजेंडा तय करने की कोशिश हो रही है। मुसलमानों को आरक्षण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है, जिस पर कर्नाटक में सबसे ज्यादा राजनीति हो रही है। अमित शाह से लेकर राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ से लेकर शिवराज सिंह चौहान तक सबने मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाया और इस बात का श्रेय लिया है कि कर्नाटक की सरकार ने इसे खत्म किया है। हालांकि यह अभी खत्म नहीं हुआ है। इसे खत्म करने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर जो कुछ भी होगा उसका असर राज्य के चुनाव पर होगा। अगर फैसला नहीं होता है, आरक्षण जारी रखने का फैसला होता है या आरक्षण रद्द होता है, तीनों ही स्थितियों में इसका चुनावी इस्तेमाल है।
बहुत दिलचस्प यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नौ मई को सुनवाई रखी है, जिसके अगले दिन 10 मई को कर्नाटक में चुनाव होना है। पता नहीं उस दिन क्या होगा, लेकिन उससे पहले भाजपा के नेता इसका प्रचार करते रहेंगे कि राज्य सरकार ने मुस्लिम आरक्षण खत्म किया है, जबकि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण करती है। एक और दिलचस्प बात यह है कि पांच मई को बॉलीवुड के बड़े निर्माता विपुल अमृतलाल शाह की फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ रिलीज हो रही है। यह केरल में हिंदू महिलाओं के शोषण, उन्हें प्रेम जाल में फंसाने, प्रताड़ित करने और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठन में भर्ती कराने की कहानी है। रिलीज होने से पहले सोशल मीडिया में हिंदू संगठनों से जुड़े लोग इसका ट्रेलर, टीजर, पोस्टर आदि शेयर कर रहे हैं और हिंदू परिवारों से जरूर यह फिल्म देखने की अपील कर रहे हैं। कर्नाटक में मतदान से पांच दिन पहले रिलीज हो रही इस फिल्म का भी कुछ न कुछ असर होगा।