कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए बयान से भाजपा को मौका मिल गया। कांग्रेस के खिलाफ हमला करने के लिए भाजपा मुद्दों की तलाश कर रही थी। मुस्लिम आरक्षण से लेकर पीएफआई पर पाबंदी का मुद्दा भाजपा के पास था, जिसका इस्तेमाल किया जा रहा था। लेकिन खड़गे के बयान से नरेंद्र मोदी को कर्नाटक की राजनीति के केंद्र में लाने का मौका भाजपा को मिल गया। इसी बहाने भाजपा के नेता वो तमाम पुराने बयान निकाल रहे हैं, जो कांग्रेस नेताओं ने मोदी के ऊपर दिए थे। उन सबका जिक्र करके बताया जा रहा है कि कांग्रेस के नेता जब भी मोदी के खिलाफ इस तरह के निजी अपमानजनक बयान देते हैं तो भाजपा को फायदा होता है, कमल खिलता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक सब यह बात कह रहे हैं।
सवाल है कि खड़गे ने क्यों इस तरह का बयान दे दिया? उन्होंने क्यों मोदी को ‘जहरीला सांप’ बताया? हालांकि बाद में उन्होंने सफाई दी और खेद भी जताया, लेकिन क्या उनको अंदाजा नहीं था कि इस तरह के बयान को मीडिया में किस तरह से हाईलाइट किया जाएगा और भाजपा किस तरह से इसका प्रचार करेगी? उन्होंने पहले कई बार देखा है कि ऐसे बयानों से मोदी के प्रति सहानुभूति होती है और भाजपा से नाराज लोग या तटस्थ लोग भी मोदी के नाम पर जुड़ जाते हैं। यह जानते हुए ही कांग्रेस ने तय किया था कि कोई भी राष्ट्रीय मुद्दा नहीं उठाया है और न मोदी को निशाना बनाना है। सिर्फ स्थानीय मुद्दे और उसमें भी ‘40 फीसदी कमीशन’ वाली सरकार के मुद्दे को हाईलाइट करना है। कांग्रेस का कोई भी नेता केंद्र की मोदी सरकार पर हमला नहीं कर रहा था। सारे नेताओं का निशाना राज्य सरकार थी। लेकिन खड़गे ने मोदी पर फोकस बनवा दिया है। अब पूरे चुनाव इसका इस्तेमाल होगा। भाजपा को कितना चुनावी फायदा यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन इससे राजनीतिक विमर्श जरूर बदला है।