भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा में बहुत ज्यादा सावधानी बरती है। पार्टी ने कोई जोखिम नहीं लिया है। पहले कहा जा रहा था कि 2019 में कांग्रेस और जेडीएस के जो 17 विधायक पार्टी छोड़ कर भाजपा में आए थे उनको इस बार टिकट नहीं मिलेगी। लेकिन पार्टी ने उनमें से 11 विधायकों को टिकट दे दी है। अगली सूची में कुछ और लोगों को टिकट दी जाएगी। पहली सूची 189 नामों की है, जिसमें 16 मौजूदा विधायकों के नाम नहीं हैं। लेकिन उनमें बीएस येदियुरप्पा, केएस ईश्वरप्पा जैसे नेता भी हैं। पहली सूची में जिनके नाम नहीं हैं उनमें से कई विधायकों के बेटे-बेटी या करीबी रिश्तेदारों को टिकट दी गई है।
बेलगावी इलाके में जरकिहोली परिवार का बहुत मजबूत असर है इसलिए पार्टी ने इस इलाके में उनके हिसाब से टिकट बांटी है। कुछ समय से रमेश जरकिहोली नाराज चल रहे थे क्योंकि उनको मंत्री नहीं बनाया जा रहा था। पार्टी ने उनकी नाराजगी दूर करते हुए उनके करीबियों को टिकट दी है और पार्टी के दूसरे बड़े नेता पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी की अनदेखी की है। रमेश जरकिहोली के साथ साथ उनके भाई बालचंद्र जरकिहोली को भी उम्मीदवार बनाया गया है। ध्यान रहे पिछले दिनों बेलगावी इलाके में हुए उपचुनाव और विधान परिषद के चुनाव में जरकिहोली परिवार के विरोध की वजह से भाजपा को नुकसान हुआ था।
बहरहाल, इसी तरह बीएस येदियुरप्पा को खुश करने के लिए उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को उनकी पारंपरिक शिकारीपुरा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है और येदियुरप्पा के ज्यादातर समर्थकों को टिकट दे दी गई है। बेल्लारी बंधुओं का भी भाजपा ने पूरा ख्याल रखा है। तीन बेल्लारी बंधुओं में से एक जनार्दन रेड्डी ने अपनी अलग पार्टी बनाई है। इसके बावजूद उनके भाई जी सोमशेखर रेड्डी को बेल्लारी शहरी सीट से उम्मीदवार बनाया गया है और रेड्डी बंधुओं के सबसे करीबी बी श्रीरामुलू को बेल्लारी ग्रामीण से टिकट दिया गया है। ध्यान रहे श्रीरामुलू ने पिछले चुनाव से पहले रेड्डी बंधुओं के कहने से अलग पार्टी बनाई थी।
भाजपा ने पहली सूची जारी करने में इतनी सावधानी बरती की केएस ईश्वरप्पा के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर देने के बाद भी उनकी सीट से उम्मीदवार घोषित नहीं किया। ईश्वरप्पा ने पार्टी अध्यक्ष को चिट्ठी लिख कर चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले की जानकारी दे दी थी। इसी तरह पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को भी चुनाव लड़ने से मना किया है लेकिन उनकी नाराजगी को देखते हुए पहली सूची में उनकी सीट पर भी उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया। इसी तरह पार्टी ने तमाम बड़े नेताओं को टिकट दे दी। वंशवाद के विरोध के बावजूद एक परिवार के कई लोगों को टिकट दी गई है।