कर्नाटक में भाजपा चुनाव से पहले जितना मामला सुलझाने की कोशिश कर रही है, उतना ही उलझती जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य बीएस येदियुरप्पा अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वे चुनावी राजनीति से रिटायर होने का ऐलान कर चुके हैं लेकिन राजनीति छोड़ कर राजी नहीं हैं। वे चाहते हैं कि उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र के साथ साथ उनके समर्थकों का भविष्य भी सुरक्षित रहे। वे विधानसभा चुनाव में अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलाना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस आलाकमान और प्रदेश के दूसरे नेता भी इसके लिए तैयार नहीं हैं। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, प्रहलाद जोशी और बीएल संतोष आदि ने अलग स्टैंड लिया हुआ है।
बताया जा रहा है कि येदियुरप्पा कम से कम 30 टिकट की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनके चुने हुए 30 उम्मीदवारों को पार्टी टिकट दे और वे उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे। इनमें से ज्यादातर ऐसे नेता हैं, जो भाजपा छोड़ने के समय उनके साथ थे या बाद में दूसरी पार्टियों से भाजपा में आए हैं। यह भी कहा जा रहा है कि उनको काटने या उनके समर्थकों की टिकट रोकने के लिए भाजपा के कुछ नेताओं ने उनके बेटे की टिकट पर सवाल उठा दिया। ध्यान रहे पिछले साल रिटायर होने की घोषणा करते हुए येदियुरप्पा ने अपने पारंपरिक शिकारीपुरा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से विजयेंद्र को आगे बढ़ाने की अपील की थी। अब इस सीट पर सवाल उठाय दिया गया ताकि येदियुरप्पा इसके लिए मोलभाव करें तो उनसे दूसरी सीटें छोड़ने के लिए कहा जाए। येदियुरप्पा इस खेल को समझ रहे हैं तभी वे अपनी बात पर अड़े हैं और भाजपा की टिकटों की घोषणा में देरी कराई।