भारतीय जनता पार्टी ने जगदीश शेट्टार की टिकट क्यों काटी यह भाजपा के अंदर भी चर्चा का विषय है। उनकी न तो उम्र 75 साल हुई है और न उनके ऊपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप लगा है। फिर भी पार्टी की ओर से उनको कह दिया गया कि वे चुनाव न लड़ें। आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। बीएस येदियुरप्पा का चुनावी राजनीति से संन्यास लेना समझ में आता है कि उनकी उम्र 80 साल के करीब हो गई है। केएस ईश्वरप्पा को भी टिकट नहीं देने का कारण समझ में आता है कि उनकी उम्र 74 साल है और उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसकी वजह से उनको मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन शेट्टार की उम्र अभी 67 साल है और वे हर तरह से सक्रिय व सक्षम नेता हैं।
शेट्टार कर्नाटक में सभी महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। वे मुख्यमंत्री रहे हैं, वे स्पीकर रहे हैं और नेता विपक्ष रहे हैं। हुबली-धारवाड़ मध्य की जिस सीट से वे विधायक हैं वहां उनकी बड़ी लोकप्रियता है। वे लिंगायत समुदाय से आते हैं, जो भाजपा का कोर वोटर है। इसके बावजूद भाजपा ने उनकी टिकट काट दी। क्या पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने येदियुरप्पा सहित उनके बाद के सभी पुराने नेताओं को एक झटके में घर बैठा देने की राजनीति की है ताकि अपने हिसाब से राज्य की राजनीति का संचालन किया जाए? यह संभव हो सकता है क्योंकि कर्नाटक में भाजपा को जमाने वाले तीन नेताओं में येदियुरप्पा, ईशवरप्पा और शेट्टार का नाम आता है। ये तीनों एक साथ चुनावी राजनीति से दूर हो जाएंगे तो पार्टी नेतृत्व के साथ बराबरी में बात करने वाला कोई नहीं रहेगा। एक कारण यह भी हो सकता है कि येदियुरप्पा कोई दूसरा बड़ा लिंगायत नेता प्रदेश में नहीं रहने देना चाहते हों? ध्यान रहे शेट्टार के अलावा एक और बड़े लिंगायत नेता लक्ष्मण सावदी को भी भाजपा ने टिकट नहीं दी है और वे कांग्रेस की टिकट से लड़ रहे हैं।