अब तक दबी जुबान में इसकी चर्चा हो रही थी लेकिन अब खुल कर सोशल मीडिया में यह पूछा जाने लगा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक में चुनाव प्रचार करने क्यों नहीं जा रहे हैं? जब से चुनाव की घोषणा हुई है उसके बाद प्रधानमंत्री का एक भी कार्यक्रम नहीं हुआ है। चुनाव की घोषणा से पहले दो महीने में वे सात बार कर्नाटक का दौरा करने गए थे। लेकिन उसके बाद एक बार भी नहीं गए हैं। पहले कहा जा रहा था कि नामांकन खत्म होने के बाद वे कर्नाटक जाएंगे। नामांकन की प्रक्रिया 20 अप्रैल को पूरी हो गई और अब तो नामांकन पत्रों की जांच और नाम वापस लेने की समय सीमा भी पूरी हो गई। हालांकि तकनीकी रूप से प्रचार का समय अब शुरू हुआ है। आठ मई तक प्रचार का समय है और कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी इसी दो हफ्ते की अवधि में जोर लगाएंगे।
प्रधानमंत्री का दौरा नहीं शुरू होने या गुजरात के मुकाबले कम प्रचार करने की संभावना को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि चुनाव सर्वेक्षणों में भाजपा के बहुत बुरी तरह से हारने का अनुमान है। कोई भी सर्वेक्षण भाजपा को 70-80 से ज्यादा सीट नहीं दे रहा है। कई चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में तो भाजपा को 40-45 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है। संभवतः इसलिए प्रधानमंत्री की कम सभाएं कराने की योजना बनी है। अगर उनकी सभाएं कम होंगी तो हार का ठीकरा स्थानीय नेताओं और उनके झगड़े पऱ फोड़ा जा सकेगा। वैसे भी टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा के प्रदेश नेताओं के बीच का विवाद सामने आने लगा है और भाजपा छोड़ने वाले नेता राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष को जिम्मेदार बता रहे हैं। बहरहाल, मोदी भले प्रचार में नहीं उतरे हैं। लेकिन अमित शाह, जेपी नड्डा सहित पार्टी के करीब एक सौ दिग्गज दिन रात मेहनत कर रहे हैं। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि सर्वेक्षण कुछ भी बताएं, भाजपा लड़ाई कमजोर नहीं पड़ने देती है।