कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के अंदर जो कलह शुरू हुई वह थम नहीं रही है। यह कलह एक दशक से ज्यादा समय से चल रही है। समय के साथ इसके कैरेक्टर बदले हैं, लेकिन कलह समाप्त नहीं हुई। यह कलह नेताओं के आपसी विवाद और महत्वाकांक्षा के साथ साथ दिल्ली-बेंगलुरू का विवाद भी है। एक जमाने में दिल्ली में बैठे अनंत कुमार की वजह से विवाद होता रहता था। बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से हटने, आपराधिक मुकदमे झेलने, पार्टी छोड़ने आदि के पीछे अनंत कुमार का हाथ माना जाता था। बाद में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और पार्टी की कमान अमित शाह के हाथ में आई तो येदियुरप्पा ने पार्टी में वापसी की और फिर मुख्यमंत्री बने।
अनंत कुमार अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन दिल्ली में बीएल संतोष भाजपा के संगठन महामंत्री बन गए हैं। वे कर्नाटक के रहने वाले हैं और भाजपा के जानकार नेताओं का कहना है कि उनकी महत्वाकांक्षा कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की है। तभी कई जानकार ताजा विवाद और राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री व फायरब्रांड नेता केएस ईश्वरप्पा के इस्तीफे को पार्टी की अंदरूनी खींचतान और दिल्ली की राजनीति से जोड़ रहे हैं। ईश्वरप्पा पिछड़ी जाति के नेता हैं और हिंदुत्व का चेहरा हैं। उनको हटाने से भाजपा के पास ऐसे नेता की कमी हुई है। तभी बीएस येदियुरप्पा और मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई दोनों ने उनका समर्थन किया है और सरकार में वापसी की उम्मीद जताई है। माना जा रहा है कि ईश्वरप्पा पर आरोप अपने कारणों से लगे लेकिन उनका इस्तीफा दिल्ली के दबाव की वजह से हुआ है। आने वाले दिनों में यह खींचतान बढ़ सकती है।