यह लाख टके का सवाल है कि क्या कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस का भाजपा से तालमेल होगा? ध्यान रहे पहले भी दोनों पार्टियां एक साथ रह चुकी हैं। दोनों ने एक साथ सरकार भी बनाया था। बाद में जेडीएस ने कांग्रेस के साथ भी सरकार बनाई। पिछले कुछ दिनों से भाजपा ने जेडीएस पर बड़े हमले किए है। अभी हुए विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के तमाम बड़े प्रचारकों ने जेडीएस पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। लेकिन राजनीति में चुनाव के समय लगाए गए आरोपों का कोई मतलब नहीं होता है। तभी अगर दोनों पार्टियां तालमेल करने का फैसला करती हैं तो ये आरोप प्रत्यारोप उनके रास्ते की बाधा नहीं बनेंगे। असल में ऐसा लग रहा है कि भाजपा कर्नाटक की हार के बाद बैकफुट पर है और वह दक्षिण भारत में अलग अलग पार्टियों के साथ गठबंधन बनाना चाहती है।
कर्नाटक के चुनाव नतीजों के बाद ही आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी के साथ तालमेल की चर्चा शुरू हुई है। टीडीपी के साथ भाजपा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों जगह तालमेल कर सकती है। इसी तरह कर्नाटक में जेडीएस से तालमेल की चर्चा है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस मिल कर लड़े थे लेकिन 28 में से सिर्फ दो सीट जीत पाए थे। इस बार विधानसभा में जेडीएस को वोट का नुकसान हुआ है और कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है, जिसके बाद कांग्रेस नेता राज्य में 20 लोकसभा सीट जीतने का दावा कर रहे हैं। तभी संभव है कि भाजपा तालमेल की बात करे। लेकिन सवाल है कि जेडीएस को कितनी सीट देकर भाजपा तालमेल कर सकती है? अगर तालमेल होता है तो भाजपा तीन-चार सीट से ज्यादा नहीं देगी। फिर भी बताया जा रहा है कि जेडीएस की ओर से पहल हो रही है और तभी एचडी देवगौड़ा ने विपक्षी गठबंधन से दूरी बनाते हुए कहा कि देश की एक भी पार्टी बताइए, जो भाजपा के साथ नहीं रही हो।