कर्नाटक में प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया कुछ भी कहें और उनके समर्थक कितना भी जोर लगाएं लेकिन कांग्रेस पार्टी किसी को सीएम का दावेदार घोषित करने नहीं जा रही है। कांग्रेस को पता है कि राज्य में सामाजिक समीकरण का संतुलन बहुत बारीक है और जरा सी गड़बड़ी से मामला बिगड़ जाएगा। पार्टी को दोनों का महत्व पता है। तभी कोई रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है। इस कोशिश के तहत ही बाकी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा अटकी है। ध्यान रहे राज्य की 224 सीटों में से 124 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। बची हुई एक सौ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है। सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच जोर आजमाइश हो रही है।
कांग्रेस के लिए चुनाव का पूरा प्रबंधन शिवकुमार कर रहे हैं। संसाधन जुटाने से लेकर प्रचार तक सब कुछ उनके जिम्मे है। यह उनकी ताकत है कि कर्नाटक में कांग्रेस भी भाजपा के जैसे लड़ रही है। लेकिन कांग्रेस को यह भी अंदाजा है कि सिद्धरमैया के पास बड़ा वोट बैंक है। ध्यान रहे 2018 में सिद्धरमैया के मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस चुनाव हारी थी लेकिन वह कर्नाटक के इतिहास में पहली बार हुआ था कि किसी सत्तारूढ़ दल का वोट प्रतिशत बढ़ा था। कांग्रेस को 2013 के मुकाबले 2018 में डेढ़ प्रतिशत ज्यादा वोट मिले थे। सिद्धरमैया इस समय निर्विवाद रूप से सबसे मजबूत ओबीसी नेता हैं। सो, कांग्रेस ओबीसी और वोक्कालिगा का संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रही है। इसलिए चुनाव से पहले उम्मीदवार घोषित नहीं होगा।