बेल्लारी बंधुओं में से एक भाजपा के पूर्व विधायक गली जनार्दन रेड्डी की मुश्किलें बढ़ी हैं। हालांकि उनकी मुश्किलें तो 2008 में केंद्र की यूपीए सरकार के समय ही शुरू हुई थीं। लेकिन वे उससे बचते रहे थे। 2008 से 2013 तक कर्नाटक में भाजपा की सरकार भी थी और भाजपा के केंद्रीय व प्रदेश नेताओं के करीबी थे। बेल्लारी में लौह अयस्क के खनन और निर्यात पर बेल्लारी बंधुओं का एकछत्र राज रहा है। उन्होंने पिछले चुनाव से पहले अपने करीबी बी श्रीरामुलू से एक पार्टी बनवाई थी। हालांकि उसका कोई खास असर नहीं हुआ। अब उन्होंने अपनी पार्टी बनाई है और पार्टी बनाते ही मुसीबतें बढ़ने लगी हैं।
कोई 10 साल पुराने मामले में उनकी जांच फिर खुलने वाली है और इस बार विदेशों में भी उनके जमा पैसों और लेन-देन की जांच होगी। कर्नाटक की एक स्थानीय अदालत ने राज्य सरकार को मंजूरी दे दी है कि वह दूसरे देशों को चिट्ठी लिख कर जनार्दन रेड्डी के लेन-देन और कारोबार के बारे में जानकारी मांगे। यह मामला 2008-12 का है और अब 10 साल से ज्यादा समय बाद अदालत ने सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, स्विट्जरलैंड आदि देशों की सरकारों को चिट्ठी लिख कर जनार्दन रेड्डी, उनकी पत्नी और उनके करीबी सहयोगियों के खातों और लेन-देन की जानकारी मांगने को कहा है।
असल में पिछले साल 25 दिसंबर को जनार्दन रेड्डी ने कल्याण राज्य प्रगति पक्ष नाम से पार्टी बनाई। उसके बाद से ही वे अपनी पुरानी पार्टी भाजपा के निशाने पर आए हैं। दो महीने में कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और भाजपा को पता है कि जनार्दन रेड्डी की पार्टी उसको मुश्किल पहुंचा सकती है। वे आर्थिक और राजनीतिक रूप से काफी सक्षम हैं।